स्वांते पाबो को शरीर क्रिया विज्ञान या मेडिसिन में 2022 का नोबेल अवार्ड मिला है। स्वांते जेनेटिस्ट हैं। वह विकासवादी जेनेटिक्स के क्षेत्र में स्पेशलिस्ट हैं। उन्हें निएंडरथल जीनोम पर काम करने के चलते नोबेल पुरस्कार दिया गया है। विज्ञान की दुनिया में यह पुरस्कार सबसे अधिक सम्मान वाला है।
दरअसल विलुप्त होमिनिन और मानव विकास के जीनोम से संबंधित उनकी खोजों के लिए उन्हें इस पुरस्कार से नवाजा गया है। बता दें कि, ये पुरस्कार विज्ञान की दुनिया में सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार माना जाता है। यह स्वीडन के करोलिंस्का संस्थान की नोबेल असेंबली की ओर से प्रदान किया जाता है।
स्वंते पाबो ने आज के संदर्भ में यह जानने की कोशिश की जीन के प्रवाह की आज के समय में प्रासंगिकता क्या है। इसके लिए उन्होंने यह जानना चाहा कि हमारे शरीर का इम्यून सिस्टम किसी भी तरह के संक्रमण पर कैसे प्रतिक्रिया देता है।
पिछले साल का मेडिसीन पुरस्कार अमेरिकी वैज्ञानिक डेविड जुलियस (David Julius) और आर्डम पैटापोशन (Ardem Patapoutian) को मिला था। इन्होंने मानव त्वचा में रिसेप्टर की खोज की थी। ये रिसेप्टर तापमान और छुअन के अहसास के अलावा शारीरिक असर को नर्व इंपल्स में बदलने की क्षमता रखते हैं।
पुरस्कार में एक करोड़ स्वीडिश क्रोनोर (करीब नौ लाख अमेरिकी डॉलर) की नकद राशि प्रदान की जायेगी। यह पुरस्कार नोबेल पुरस्कार विजेताओं को 10 दिसंबर को दिया जायेगा। यह राशि पुरस्कार की स्थापना करने वाले स्वीडन के आविष्कारक अल्फ्रेड नोबल द्वारा छोड़ी गई वसीयत से दी जाती है।
पुरस्कार की घोषणा करते हुए नोबेल पुरस्कार समिति ने कहा, ‘अपने अग्रणी शोध के माध्यम से स्वंते पाबो ने कुछ ऐसा किया है जो असंभव सा प्रतीत होता है। निएंडरथल के जीनोम को अनुक्रमित करना, जो वर्तमान मनुष्यों के विलुप्त रिलेटिव हैं। उन्होंने पहले अज्ञात होमिनिन, डेनिसोवा की सनसनीखेज खोज भी की।’