अटारी बॉर्डर पर बीते 70 दिनों से फंसे एक पाकिस्तानी जोड़े ने अपने नवजात बच्चे का नाम ‘बॉर्डर’ रखा. बॉर्डर पर बच्चे का जन्म होने की वजह से इस दंपति ने नवजात का नाम ही ‘बॉर्डर’ रख दिया.
दरअसल, यह जोड़ा पिछले 70 दिनों से 97 अन्य पाकिस्तानी नागरिकों के साथ भारत-पाकिस्तान के अटारी बॉर्डर पर फंसा हुआ है. इसी दौरान महिला ने बच्चे को जन्म दिया और क्योंकि बच्चे का जन्म ऐसी स्थिति में हुआ है जब वह अटारी बॉर्डर पर लंबे समय से फंसे हुए हैं, तो महिला और उसके पति ने अपने बच्चे का नाम ‘बॉर्डर’ ही रख दिया.
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के राजनपुर जिले के निवासी नींबू बाई और बलम राम अन्य पाकिस्तानी नागरिकों के साथ कई दिनों से बॉर्डर पर रह रहे हैं. नींबू बाई को 2 दिसंबर को प्रसव पीड़ा हुई. जिसके बाद पास के गांवों की कुछ महिलाएं निंबू बाई की प्रसव में मदद करने के लिए पहुंचीं. स्थानीय लोगों ने अन्य सहायता प्रदान करने के अलावा प्रसव के लिए चिकित्सा सुविधाओं की भी व्यवस्था की.
नींबू बाई और बलम राम ने बताया कि भारत-पाक सीमा पर बच्चे का जन्म होने की वजह से उन्होंने अपने बच्चे का नाम बॉर्डर रख दिया. बालम राम के अलावा उनके टैंट में रहने वाले एक अन्य पाकिस्तानी नागरिक लग्या राम ने अपने बेटे का नाम ‘भारत’ रखा है क्योंकि वह पिछले साल 2020 में जोधपुर में पैदा हुआ था. लग्या जोधपुर में अपने भाई से मिलने आया था लेकिन अभी तक वापस पाकिस्तान नहीं जा सका है.
बलम राम ने बताया कि वह लॉकडाउन से पहले 98 अन्य नागरिकों के साथ तीर्थयात्रा और रिश्तेदारों से मिलने भारत आए थे लेकिन आवश्यक दस्तावेजों की कमी के कारण घर नहीं लौट सके हैं. इन लोगों में 47 बच्चे शामिल हैं, जिनमें से छह भारत में पैदा हुए हैं, जो अभी एक साल से कम उम्र के हैं.
यहां फंसे हुए लोग पाकिस्तान के रहीम यार खान और राजनपुर सहित विभिन्न जिलों से ताल्लुक रखते हैं, जो वर्तमान में अटारी सीमा पर एक टैंट में रह रहे हैं क्योंकि पाकिस्तानी रेंजरों ने उन्हें स्वीकार करने से इनकार कर दिया है. ये परिवार अटारी इंटरनेशनल चेक-पोस्ट के पास एक पार्किंग में डेरा डाले हुए हैं.