संसद के मानसून सत्र को शुरू हुए 12 दिन बीत चुके हैं, लेकिन पेगासस जासूसी केस और किसान आंदोलन जैसे कई मुद्दों पर विपक्ष का विरोध जारी है। इस गतिरोध के कारण संसद की कार्यवाही पर बुरा असर पड़ा है। संसद को दोनों सदनों में अब तक 107 घंटे में से सिर्फ 18 घंटे की कार्यवाही चल सकी है। इससे करदाताओं के 133 करोड़ रुपए का नुकसान हो गया।
संसद का मानसून सत्र 19 जुलाई से शुरू हुआ था, लेकिन अब तक दोनों सदनों की कार्यवाही लगभग बाधित रही है। मानसून सत्र में अब तक करीब 89 घंटे हंगामे की भेंट चढ़ चुके हैं। सत्र 13 अगस्त तक चलना है।राज्यसभा की कार्यवाही तय समय का सिर्फ करीब 21% ही चली है, तो लोकसभा की कार्यवाही सिर्फ 13%। लोकसभा 54 घंटें में से 7 घंटे से भी कम समय चली, जबकि राज्यसभा 53 घंटें में से 11 घंटे चली।
हंगामे के चलते मानसून सत्र के दूसरे हफ्ते में सदन की प्रोडक्टिविटी में 13.70% की गिरावट आई है। पहले हफ्ते में ये आंकड़ा 32.20% था। इस मसले पर विपक्ष का कहना है कि जासूसी मुद्दे पर जब तक सरकार चर्चा के लिए तैयार नहीं होगी, विरोध खत्म नहीं होगा। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी इस मांग को खारिज कर लोकसभा में कह चुके हैं कि यह कोई मुद्दा ही नहीं है।
पेगासस जासूसी केस पर चर्चा की मांग को लेकर विपक्षी सांसदों ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला की तरफ 28 जुलाई को पर्चे फेंके थे। इस दौरा सांसदों ने खेला होबे के नारे भी लगाए थे। इस दिन कई बार कार्रवाई को स्थगित करना पड़ा था।
पर्चे उछाले जाने से नाराज स्पीकर ने 10 सांसदों को सदन से निलंबित करने की चेतावनी दी थी। ANI के मुताबिक इसमें सांसद गुरजीत सिंह औजला, टीएन प्रथापन, मणिकम टैगोर, रवनीत सिंह बिट्टू, हिबी ईडेन, जोति मणि सेन्नमलई, सप्तगिरि संकर उलका, वी वैथिलिंगम और ए एम आरिफ का नाम शामिल था।