श्रीलंका में हालात बेकाबू होते जा रहे हैं। अपनी आजादी के बाद सबसे बड़ी आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे श्रीलंका में हिंसक प्रदर्शनों का सिलसिला जारी है. इस बीच, खबर यह भी है कि रक्षा मंत्रालय ने थल सेना, वायुसेना और नौसेना कर्मियों की सार्वजनिक संपत्ति को लूटने या आम लोगों को चोट पहुंचाने वाले किसी भी दंगाई को गोली मारने का आदेश दिया है.
ये आदेश तब सामने आया है जब राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने लोगों से साथी नागरिकों के खिलाफ “हिंसा और बदले की कार्रवाई” को रोकने का आग्रह किया और राष्ट्र के सामने आने वाले राजनीतिक और आर्थिक संकट को दूर करने का वादा किया था. अब प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के इस्तीफे की भी मांग कर रहे हैं.
श्रीलंका में तत्कालीन प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के समर्थकों की ओर से देश में घोर आर्थिक संकट पर उन्हें हटाने की मांग कर रहे सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर हमला करने के बाद सोमवार को हिंसा भड़क गई थी. इसमें आठ लोगों की जान चली गई. वहीं, कोलंबो और अन्य शहरों में हुई हिंसा में 200 से अधिक लोग घायल भी हुए हैं.
देश में आर्थिक संकट के बीच सोमवार को महिंदा राजपक्षे ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. इस घटनाक्रम से कुछ घंटे पहले महिंदा राजपक्षे के समर्थकों द्वारा राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के कार्यालय के बाहर प्रदर्शनकारियों पर हमला करने के बाद राजधानी कोलंबो में सेना के जवानों को तैनात किया गया था और राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू लगा दिया गया था.
वहीं, यूरोपीय संघ ने मंगलवार को द्वीप राष्ट्र में हिंसा की निंदा की है. यूरोप के सदस्य देशों ने संयुक्त बयान में कहा, ‘यूरोपीय संघ ने अधिकारियों से घटनाओं की जांच शुरू करने और हिंसा भड़काने या अपराध करने वालों को जवाबदेह ठहराने का आह्वान किया है. यूरोपीय संघ सभी पक्षों से हिंसा से दूर रहने और संयम दिखाने का आग्रह करता है.’