अफगानिस्तान पर कब्जा जमाने के बाद अब तालिबान शुक्रवार को नई सरकार का ऐलान करेगा. सूत्रों ने बताया कि शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद तालिबान अफगानिस्तान में सरकार बनाएगा. बता दें कि 15 अगस्त को काबुल पर कब्जा करने के बाद तालिबान ने अफगानिस्तान को अपने नियंत्रण में ले लिया. अमेरिकी फोर्स भी सोमवार की रात अफगानिस्तान से बाहर निकल गई.
अमेरिकी सेना की वापसी के बाद इस्लामिक आतंकवादी समूह ने अफगानिस्तान में अपनी जीत को लेकर जमकर जश्न मनाया, साथ ही दशकों तक चले युद्ध के बाद देश में शांति और सुरक्षा लाने की अपनी प्रतिज्ञा भी दोहराई.
अफगानिस्तान के बिगड़ते आर्थिक संकट के बीच तालिबान अब एक ऐसे राष्ट्र पर शासन करने की उम्मीद कर रहा है जो बहुत अधिक अंतरराष्ट्रीय सहायता पर निर्भर है. ऐसे में देखना है कि तालिबान किस तरह से अपने कदम को आगे बढ़ाता है.
तालिबान ने किसी भी विदेशी या अफगानों के लिए देश से सुरक्षित मार्ग की अनुमति देने का वादा किया है, जो बड़े पैमाने पर चले एयरलिफ्ट के बावजूद नहीं निकल सके हैं, यह अभियान सोमवार को अंतिम अमेरिकी सैनिकों की वापसी के साथ खत्म हो गया. हालांकि काबुल एयरपोर्ट अभी भी बंद होने के कारण, बड़ी संख्या में लोग मैदानी रास्ते से भागकर पड़ोसी देशों में जाने की कोशिश कर रहे हैं.
कतर के विदेश मंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल-थानी ने कहा कि खाड़ी राज्य तालिबान के साथ बात कर रहे हैं और काबुल एयरपोर्ट पर परिचालन फिर से शुरू करने के लिए तकनीकी सहायता के बारे में तुर्की के साथ काम कर रहा है, जिससे मानवीय सहायता और संभवतः अधिक निकासी की सुविधा हो सकेगी.
अफगानिस्तान में नई सरकार के गठन को लेकर व्हाइट हाउस ने कहा है कि अमेरिका या अन्य किसी देश को तालिबान को मान्यता देने की कोई जल्दबाजी नहीं है, क्योंकि यह कदम पूरी तरह इस बात पर निर्भर करेगा कि वह वैश्विक समुदाय की उम्मीदों पर कितना खरा उतरता है.
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि अमेरिका या अन्य किसी देश, जिससे हमने बात की है उसे तालिबान को मान्यता देने की कोई जल्दबाजी नहीं है. यह तालिबान के व्यवहार और इस बात पर निर्भर करता है कि वह वैश्विक समुदाय की उम्मीदों पर खरा उतरता है या नहीं.