तुर्की में भारत के खिलाफ बड़ी साजिश रची जा रही है. तुर्की सरकार कश्मीरी अलगाववादियों को अपनी मीडिया में जगह दे रही है, ताकि दुनिया के सामने भारत के खिलाफ झूठ फैलाया जा सके. 15 अगस्त को तुर्की मीडिया में प्रकाशित एक विवादित लेख इसी साजिश का हिस्सा था. इस लेख को अलगाववादी नेता अल्ताफ अहमद शाह की बेटी रूआ शाह ने लिखा था.
राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने 2017 में दर्ज एक मामले में रूआ को टेरर फंडिंग का आरोपी बनाया था. उन्होंने अपने लेख में कश्मीर से दूर रहने की व्यथा के नाम पर भारत की छवि प्रभावित करने का प्रयास किया. लेख में कहा गया कि कश्मीर के बच्चे कभी सामान्य जीवन नहीं जी सकते. एनआईए जांच के अनुसार अलगाववादी नेता अल्ताफ अहमद शाह कश्मीर घाटी में सुरक्षा बलों पर पथराव, स्कूलों को जलाने, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और युद्ध छेड़ने जैसी आतंकी गतिविधियों के लिए हवाला के जरिये पैसा जुटाता था.
केवल कश्मीरी अलगाववादी ही नहीं, स्थानीय मीडिया में पाकिस्तानी पत्रकारों को भी भर्ती किया जा रहा है. यह सबकुछ राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन के इशारे पर हो रहा है. एर्दोगन घरेलू राजनीति में चरमपंथ को भुनाने और कट्टर इस्लामिक सोच को आगे बढ़ाना चाहते हैं. इसलिए मीडिया में चरमपंथी झुकाव वाले पाकिस्तानी पत्रकारों को शामिल किया जा रहा है. ये पत्रकार अच्छे से जानते हैं कि एर्दोगन की सियासी इच्छाओं की पूर्ति के अलावा अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की छवि को कैसे धूमिल किया जा सकता है.