पात्रा चॉल घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के केस में शिवसेना सांसद संजय राउत को बड़ी राहत मिली है। मुंबई की अदालत ने संजय राउत को जमानत दे दी है। प्रवर्तन निदेशालय ने पात्रा चॉल भूमि मामले में राउत को इसी साल जुलाई के अंत में गिरफ्तार किया था। इस मामले में ईडी राउत की पत्नी, करीबियों समेत कई लोगों से पूछताछ कर चुकी है।
फिलहाल वे मुंबई की आर्थर रोड़ जेल में हैं। अभी यह साफ नहीं हुआ है कि संजय राउत आज ही जेल से बाहर आ जाएंगे या नहीं। संजय राउत की जमानत पर पिछले दिनों से सुनवाई चल रही थी। विशेष न्यायाधीश एमजी देशपांडे ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) में सुनवाई करते हुए दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पिछले सप्ताह आदेश सुरक्षित रख लिया था।
मुंबई के उत्तरी उपनगरीय इलाके में पात्रा चॉल प्रोजेक्ट के मामले में ईडी जांच कर रही है। जांच के दौरान राउत को कई बार पूछताछ के लिए बुलाया गया था। 31 जुलाई को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था और ई़डी की हिरासत में 8 दिन बिताने के बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा गया था।
7 सितंबर को उन्होंने जमानत के लिए याचिका दायर की थी। साथ ही राउत ने दावा किया था कि उनके खिलाफ दर्ज ईडी की मामला सत्तारूढ़ दल की तरफ से विपक्ष का दबाने की कोशिश है। उन्होंने यह भी कहा था कि अपराध की आय के तौर पर दिखाए गए 1.06 करोड़ रुपये का हिसाब था और जानकारी दी गई थी।
शिवसेना सांसद की जमानत याचिका पर कई बार सुनवाई की तारीख पड़ती रही लेकिन हर बार कोर्ट से उनकी न्यायिक हिरासत बढ़ती रही. सबसे पहले संजय राउत की रिमांड 8 अगस्त तक और फिर 22 अगस्त तक बढ़ाई गई थी. वहीं तीसरी बार उनकी रिमांड 5 सितंबर तक बढ़ा दी गई थी. लेकिन आखिरकार जुलाई से जेल में बंद राउत को जमानत मिली है.
क्या है पात्रा चॉल घोटाला
यह मामला 2008 का है। तब महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (म्हाडा) ने हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (HDIL) से जुड़ी कंपनी गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड (GACPL) को पात्रा चॉल के डेवलपमेंट का काम सौंपा था। जीएसीपीएल को किरायेदारों के लिए 672 फ्लैट बनाने थे और कुछ फ्लैट म्हाडा को भी देने थे। शेष जमीन निजी डेवलपर्स को बेचने के लिए स्वतंत्र था, लेकिन पिछले 14 वर्षों में किरायेदारों को एक भी फ्लैट नहीं मिला, क्योंकि कंपनी ने पात्रा चॉल का पुनर्विकास नहीं किया और ईडी के अनुसार 1,034 करोड़ रुपये में अन्य बिल्डरों को भूमि पार्सल और फ्लोर स्पेस इंडेक्स (एफएसआई) बेच दिया।