19 जुलाई 2020, बुधवार के दिन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कोंकण प्रदेश ,विभाग द्वारा विश्वविद्यालयों द्वारा विद्यार्थियों की मांगों को नजरंदाज किये जाने के कारण प्रदेश व्यापी विरोध प्रदर्शन किया गया। इसी सन्दर्भ में मुम्बई महानगर की प्रतीक्षा नगर इकाई द्वारा भी विद्यार्थियों के हक कि खातिर सामाजिक दूरी का पूरा ध्यान रखते हुए और अन्य नियमो का पालन करते हुए आवाज बुलंद की गयी।
कोरोना वायरस कि इस वैश्विक महामारी के काल में जहाँ एक आम इंसान को अपने परिवार की दैनिक जीवन कि जरूरतों के लिए भारी संघर्ष करना पड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर हमारे विश्वविद्यालय इस कठिन समय में भी विद्यार्थियों और उनके परिवार को सालाना फीस के मुद्दे पर परेसान कर रहे हैं। इस सन्दर्भ में अ .भा .वि .प द्वारा पहले ही कुलपतियों को ज्ञापन सौंपा जा चुका है, परंतु इस मुद्दे पर किसी भी तरह का कोई संज्ञान नही लिया गया, ना ही किसी भी प्रकार की कोई चर्चा या बैठक हुई, विद्यार्थी और विश्वविद्यालय एक दूसरे परिपूर्ण करते हैं, परंतु इस समय विस्वविद्यालय का विद्यार्थियों के प्रति ये रवैया बिलकुल बरदास्त नही किया जा सकता।
इस वैश्विक महामारी के काल में माननीय प्रधानमंत्री महोदय ने 20 लाख करोड़ के राहत कोष की घोषणा की,इसके अतिरिक्त इतने वर्षों से महाविद्यालयों ने विद्यार्थियों से मोटी फीस वसूल कर अपनी जेबें भरी हैं उस निधि का प्रयोग क्यों नही किया जा रहा। कुलपतियों के इसी निर्मम व्यवहार के विरुद्ध फिर एक बार इस महामारी के काल में भी विद्यार्थी परिषद को विद्यार्थियों की खातिर सड़क पर उतरना पड़ा है।
विद्यार्थी परिषद् की मांगे बिलकुल स्पष्ट है,
1)विद्यार्थी इस समय अपने महाविद्यालयों और विद्यालयों कि जिन सुविधाओं का उपयोग नही कर रहे उन्हें फीस में सम्मिलित ना किया जाये।
२)सभी विद्यार्थियों को उनके पिछले अर्धवार्षिक परीक्षा का परीक्षा शुल्क लौटाया जाये।
3)सभी विद्यार्थियों की सालाना फीस में तीस प्रतिशत की कटौती की जाये।
4)सभी विद्यार्थियों को उनकी बकाया फीस जमा करने के लिए चार किश्तों की मोहलत दी जाये।
विद्यार्थी परिषद अपनी मांगों को लेकर अड़िग है,और विस्वास दिलाना चाहती है कि हम एक इंच भी पीछे नही हटेंगे। यदि इसके बाद भी कुलपतियों के कानों में जूं नही रेंगती और वो भीख मांगना बंद नही करते तो हमें कुर्सियों में कील ठोकने का भी अच्छा अनुभव है।