मुंबई की एक अदालत द्वारा भगोड़ा घोषित किए गए मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह गुरुवार को शहर लौट आए। उन्होंने मीडिया से कहा कि अदालत के निर्देश के अनुसार जांच में शामिल होंगे। महाराष्ट्र में जबरन वसूली के कई मामलों का सामना कर रहे आईपीएस अधिकारी ने बुधवार को न्यूज चैनलों को बताया था कि वह चंडीगढ़ में हैं।
मुंबई पुलिस आयुक्त के पद से उनके स्थानांतरण और महाराष्ट्र के तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद सिंह ने इस साल मई से काम नहीं कर रहे है। सुप्रीम कोर्ट ने अब सिंह को गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान कर दी है।
उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर ‘एंटीलिया’ के पास विस्फोटकों वाली एक एसयूवी और उसके बाद व्यवसायी मनसुख हिरन की संदिग्ध मौत के मामले में मुंबई पुलिस अधिकारी सचिन वाजे को गिरफ्तार किए जाने के बाद उनका तबादला कर दिया गया था।
इससे पहले परमबीर सिंह के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया कि उनको मुंबई में जान का खतरा है। इस दावे पर महाराष्ट्र के गृह मंत्री दिलीप वालसे आश्चर्य जताते हुए कहा कि जो व्यक्ति मुंबई और ठाणे के पुलिस आयुक्त के रूप में सेवा की है और जिसने महत्वपूर्ण पद संभाले है, उसे उसकी ज़िंदगी का खतरा महसूस हो रहा है।
मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परम बीर सिंह के वकील के इस दावे पर कि सिंह काे मुंबई में जान का खतरा है, महाराष्ट्र के गृह मंत्री दिलीप वालसे ने कहा कि, “अगर वह किसी से अपने जीवन के लिए खतरा महसूस कर रहे हैं, तो हमें बताएं, हम इस पर गौर करेंगे। हम नहीं जानते कि वह कहां है।”
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह को महाराष्ट्र सरकार द्वारा उनके खिलाफ शुरू की गई पूछताछ के सिलसिले में गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान कर दी थी। 16 सितंबर को बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सिंह की याचिका पर नोटिस जारी करते हुए, राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई दो प्रारंभिक जांच को चुनौती देने वाली उनकी याचिका को खारिज करते हुए, जस्टिस एसके कौल और एमएम सुंदरेश की पीठ ने कहा कि यह घटनाक्रम “बहुत परेशान करने वाला” है और “तत्कालीन गृह मंत्री और तत्कालीन पुलिस आयुक्त के बीच लड़ाई में चीजें बड़ी उत्सुकता वाली बन गई हैं।