पुणे। पुणे मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (पीएमटीसी) की बसों को डीजल की बढ़ती कीमतों के चलते घाटे का सामना करना पड़ रहा है. विभाग ने ईंधन की बढ़ती कीमतों का हवाला देते हुए पुणे और पिंपरी-चिंचवड सीमाओं के बाहर ग्रामीण इलाकों में दस नए मार्ग शुरू करने का फैसला किया है। हालांकि इन मार्गों को देखते हुए सवाल उठ रहे हैं कि क्या इन मार्गों के लिए सर्वेक्षण किया गया था और क्या पीएमटीसी को यात्रियों की अपेक्षित संख्या मिलेगी।
कोरोना के कारण पिछले डेढ़ साल से जहां पुणे मनपा के बसों का पहिया घाटे में फंस गया है, वहीं लोगों द्वारा यह सवाल भी उठाया जा रहा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में यह सेवा प्रदान करने का फैसला किसने किया है।
पीएमपी प्रशासन ने 20 जून से हडपसर-वरवंद, हडपसर-उरुली कंचन (सासवड के रास्ते), कटराज-विंजर, पिरंगुट से हिंजवाड़ी, कटराज से वडगांव मावल और हडपसर से वाडकी (गायकवाड़ वाडी के रास्ते) मार्गों पर पीएमपी की सेवा शुरू कर दी है.
यह सेवा अगले सप्ताह मार्केट यार्ड से लवर्डे, डेक्कन से मुथा, भोसरी से मंचर और पुणे स्टेशन से पौड तक शुरू होगी। इन मार्गों पर बसों की घोषणा ने कई सवाल खड़े किए हैं।
नुकसान कौन उठाएगा
पीएमपी को हुआ नुकसान पुणे और पिंपरी-चिंचवड़ मनपा द्वारा वहन किया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में 10 नए शुरू किए गए मार्गों पर यात्रियों की अपेक्षित संख्या नहीं मिलने और पीएमआरडीए सीमा में पहले से शुरू किए गए पांच मार्गों पर पीएमपी को कुछ खास आय नहीं हो रही है। ऐसे में सवाल यह है कि इसका बोझ कौन उठाएगा, क्या दोनों मनपा नुकसान की भरपाई करने को तैयार होंगे।