कोरोना हेल्पलाइन की पूरी टीम का तबादला
पुणे। मुंबई उच्च न्यायालय ने पुणे मनपा की हेल्पलाइन पर कॉल कर बेड की उपलब्धता की जांच की. हाईकोर्ट से कॉल आने के बाद संतोषजनक जवाब नहीं देने पर कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। इसके बाद हेल्पलाइन पर काम कर रहे स्टाफ की पूरी टीम को बदलने का फैसला किया गया।
हेल्पलाइन पर काम करने वाले कर्मचारी शिक्षक थे इसलिए वे उचित जवाब नहीं दे सके। लेकिन सवाल उठता है कि क्या वरिष्ठ अधिकारी हेल्पलाइन पर काम करने वाले कर्मचारियों पर बेड नहीं मिलने का आरोप लगाकर खुद को बचाने की कोशिश कर रहे हैं ?
गौरतलब हो कि कोरोना मरीजों के समुचित इलाज दिए जाने की मांग को लेकर पुणे हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है. याचिका पर सुनवाई के दौरान मनपा के वकीलों ने अदालत में दावा किया कि पुणे में कोरोना मरीजों का समुचित इलाज हो रहा है और फिलहाल मनपा के पास 27 ऑक्सीजन बेड और तीन वेंटिलेटर बेड उपलब्ध हैं. इस दावे की पुष्टि के लिए जज ने तुरंत याचिकाकर्ताओं के वकीलों को पुणे मनपा की हेल्पलाइन पर कॉल करके बेड के बारे में पूछने को कहा. हेल्पलाइन पर काम करने वाली एक महिला ने जवाब दिया कि बिस्तर उपलब्ध नहीं है। अदालत में हर कोई हैरान हो गया। इसके बाद न्यायाधीश ने पुणे मनपा के वकीलों से हेल्पलाइन पर कॉल करने और यह पूछने के लिए कहा कि क्या बिस्तर उपलब्ध है। मनपा के वकीलों ने भी हेल्पलाइन पर फोन किया तो उन्हें भी यही बताया गया कि बेड उपलब्ध नहीं है। कोर्ट के सामने हुई इस घटना से पुणे मनपा का दावा बेनकाब हो गया.
कुछ दिन पहले उच्च न्यायालय ने आवश्यक होने पर पुणे में पूर्ण तालाबंदी का निर्देश दिया था। जवाब में पुणे मनपा ने अदालत से कहा था कि शहर में पर्याप्त चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हैं और लॉकडाउन की कोई जरूरत नहीं है।