भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) की एक महिला अधिकारी ने अपने सहयोगी लेफ्टिनेट पर बलात्कार का आरोप लगाया है. एयर फोर्स ने कोर्ट से महिला अधिकारी से रेप के आरोपी अफसर का कोर्ट मार्शल करने की अनुमति मांगी थी. पीड़िता ने 20 सितंबर को अपने साथ हुए दुष्कर्म की शिकायत तमिलनाडु (Tamil Nadu) के कोयंबटूर पुलिस में की थी. 26 सितंबर को आरोपी अफसर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था.
अब कोर्ट ने कहा है कि इस मामले की सुनवाई कोर्ट मार्शल के तहत की जाएगी. एयरफोर्स और तमिलनाडु पुलिस के बीच क्षेत्राधिकार के बीच जारी खींचतान के मद्देनजर अदालत ने वायु सेना को अपने अधिकारी के खिलाफ आगे की कार्रवाई के लिए इजाजत दे दी है.
पूरा मामला
तमिलनाडु के कोयंबटूर (Coimbatore) स्थित इंडियन एयरफोर्स कॉलेज इन रेडफीलड्स में ये घटना हुई है. कॉलेज में 30 एयरफोर्स ऑफिसर्स ट्रेनिंग के लिए पहुंचे थे. ट्रेनिंग के लिए आई 29 वर्षीय एक महिला अधिकारी ने एयरफोर्स लेफ्टिनेंट पर रेप करने का आरोप लगाया है. महिला ने अपनी शिकायत में कहा है कि 10 सितंबर को बास्केटबॉल खेलते समय पैर में चोट लग गई, जिसके बाद उन्होंने सोने से पहले दर्द निवारक दवा खाई. इसके बाद जब आधी रात में उसकी नींद खुली तो उसने खुद को नग्न पाया और बराबर में आरोपी अधिकारी भी नग्न अवस्था में लेटा हुआ था. पीड़िता का कहना है कि इसके बाद उसने महसूस किया कि एयरफोर्स लेफ्टिनेंट ने उसका रेप किया है.
किसी ने भी नहीं किया सहयोग
पीड़िता का कहना है कि उसको ना पुलिस से सहयोग मिला और ना ही एयरफोर्स कॉलेज में किसी ने उसकी मदद की. उसका ये भी कहना है कि बलात्कार की पुष्टि करने के लिए अकादमी में चिकित्सा अधिकारियों उसका ‘टू-फिंगर टेस्ट’ किया.
महिला अधिकारी ने बताया कि टू-फिंगर टेस्ट के बाद उसे फिर यौन शोषण के ट्रॉमा से गुजरना पड़ा. रेप पीड़िता का आरोप है कि डॉक्टरों ने उसका टू-फिंगर टेस्ट किया जिसे सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिबंधित कर दिया है। इसके अलावा पीड़िता से उसकी सेक्शुअल हिस्ट्री के बारे में भी पूछा गया. पीड़िता ने अपनी एफआईआर में बताया कि उसे असली ठेस तब पहुंची जब वायुसेना के अधिकारियों ने उसे मामला वापस लेने के लिए प्रोत्साहित किया. ट्रेनिंग सेंटर में सबूतों के साथ भी छेड़छाड़ किए जाने की बात पीड़िता ने कही है.
इस मामले में महिला आयोग की चीफ रेखा शर्मा ने एयर चीफ मार्शल को भी पत्र लिखा है और जरूरी कदम उठाने को कहा है. आयोग ने कहा कि एयरफोर्स के डॉक्टरों को गाइडलाइंस के बारे में बताना चाहिए. 2014 में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने भी टू-फिंगर टेस्ट को अवैज्ञानिक करार दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने टू-फिंगर टेस्ट को गलत करार देते हुए कहा था कि इससे किसी के साथ रेप होने या न होने की पुष्टि नहीं की जा सकती.