नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर संसद भवन के सेंट्रल हॉल में उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की जाएगी. यह कार्यक्रम 23 जनवरी को सुबह साढ़े 10 बजे संसद भवन के सेंट्रल हॉल में आयोजित किया जाएगा.नेताजी के नाम से मशहूर सम्मानित स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस की आज 125वीं जयंती है. केंद्र सरकार ने बोस की जयंती को शामिल करने के लिए 23 जनवरी से गणतंत्र दिवस समारोह शुरू करने का फैसला किया है, जिसे इस साल से शुरू होने वाले पराक्रम दिवस (वीरता का दिन) के रूप में मनाया जाएगा. बोस की जयंती पर संसद भवन के सेंट्रल हॉल में उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की जाएगी. पुष्पांजलि अर्पित करने का यह समारोह 23 जनवरी को सुबह साढ़े 10 बजे संसद भवन के सेंट्रल हॉल में आयोजित किया जाएगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को ऐलान करते हुए कहा कि दिल्ली स्थित इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की भव्य प्रतिमा लगाई जाएगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेता जी की प्रतिमा वाली तस्वीर ट्वीट कर इसकी जानकारी दी. उन्होंने कहा कि जब तक नेताजी बोस की भव्य प्रतिमा बनकर तैयार नहीं हो जाती, तब तक उनकी होलोग्राम प्रतिमा उसी स्थान पर मौजूद रहेगी. मैं 23 जनवरी को नेताजी की जयंती पर होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण करूंगा.
सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा उस छतरी में लगेगी जहां पहले जॉर्ज पंचम की मूर्ति लगी थी. जॉर्ज पंचम की प्रतिमा को 1968 में हटा दिया गया था, तब से यह छतरी खाली पड़ी है. होलोग्राफिक एक तरह की डिजिटल तकनीक है. यह एक प्रोजेक्टर की तरह काम करता है, जिसमें किसी भी चीज को 3D आकार दिया जा सकता है. इस तकनीक से ऐसा महसूस होता है, जैसे सामने दिखाई दे रही चीज असली है, लेकिन वह सिर्फ एक 3D डिजिटल इमेज होती है.
नेताजी का सफर
आजादी की लड़ाई में नेताजी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और कई बार जेल गए थे। 1940 में अंग्रेजों ने नेताजी को कलकत्ता में उनके घर पर नजरबंद कर दिया था। कड़े पहरे के बावजूद वे 26 जनवरी 1941 को कैद से भाग निकले और काबुल और मास्को के रास्ते होते हुए अप्रैल में हिटलर के शासन वाले जर्मनी पहुंच गए।
जापान के साउथ ईस्ट एशिया पर हमले के बाद बोस मई 1943 में जापान पहुंचे। जुलाई 1943 में उन्होंने आजाद हिंद फौज की कमान संभाली। 21 अक्टूबर 1943 को नेताजी ने भारत की पहली स्वतंत्र अस्थाई सरकार के गठन का ऐलान कर दिया। 1944 में आजाद हिंद फौज के सैनिकों को संबोधित करते हुए नेताजी ने प्रसिद्ध नारा दिया था, ‘’तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।’’