स्पाइसजेट विमानों में लगातार आ रही खराबी के बाद नागरिक उड्डयन महानियंत्रक (DGCA) की तरफ से बुधवार को कारण बताओं नोटिस जारी किया गया है. डीजीसीए की तरफ से यह कदम पिछले 18 दिनों में तकनीकी खराबी की आठ घटनाओं के बाद उठाया गया है. DGCA की ओर से इस मामले में स्पाइसजेट को जवाब देने के लिए तीन हफ्तों का समय दिया गया है।
पिछले 18 दिनों में स्पाइस जेट की उड़ानों में 8 में कुछ न कुछ खराबी देखने को मिली है। जिसकी वजह से कई फ्लाइटों को बीच सफर से वापस लौटना पड़ा या फिर किसी एयपोर्ट पर इमरजेंसी लैंडिंग करानी पड़ी। उड़ानों में आ रही खराबी को देखते और यात्रियों की सुरक्षा पर चिंता जताते हुए नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) स्पाइसेस जेट को कारण बताओ नोटिस जारी कर फटकार भी लगाई है।
डीजीसीए ने स्पाइस जेट को नोटिस जारी कर कहा है कि यह एयरलाइन विमान नियम, 1937 के तहत सुरक्षित, दक्ष और विश्वसनीय हवाई सेवाओं को सुनिश्चित करने में नाकाम रही है। इसके अलावा डीजीसीए द्वारा सितंबर 2021 में स्पाइसजेट के ऑडिट में पाया गया कि स्पेयर पार्ट के सप्लायरों को नियमित आधार पर भुगतान नहीं किया जा रहा है, जिससे स्पेयर पार्ट की कमी हो रही है।
18 दिनों में 8वीं घटना
जानकारी के अनुसार 5 जुलाई 2022 को स्पाइसजेट बोइंग 737 मालवाहक को कोलकाता से चोंगकिंग के लिए संचालित करने के लिए निर्धारित किया गया था। टेक-ऑफ के बाद मौसम रडार मौसम नहीं दिखा रहा था। जिसके बाद PIC (पायलट-इन-कमांड) ने कोलकाता लौटने का फैसला किया। विमान कोलकाता में सुरक्षित उतरा गया है। दरअसल, विमान के पायलट्स को उड़ान भरने के बाद यह अंदेशा हुआ कि मौसम संबंधी रडार काम नहीं कर रहा है।
5 जुलाई को ही एयरलाइन की दिल्ली-दुबई उड़ान को खराब ईंधन संकेतक के कारण कराची की ओर मोड़ दिया गया था। वहीं, उसके कांडला से मुंबई जा रहे विमान को बीच हवा में विंडशील्ड में दरार आने के बाद महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में प्राथमिकता के आधार पर उतारा गया था।
घाटे में चल रही कंपनी
बता दें, स्पाइसजेट एयरलाइन बीते तीन सालों से घाटे में चल रही है. सस्ती सेवा सुविधा देने वाली विमान कंपनी स्पाइसजेट को 2018-19 में 316 करोड़, 2019-2020 में 934 करोड़ और 2020-21 में 998 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। कोरोना महामारी से विमान क्षेत्र उबर रहा है और उड्डयन परामर्श फर्म सीएपीए ने 29 जून को कहा कि भारतीय विमानन कंपनियों का घाटा वर्ष 2021-22 के तीन अरब डॉलर से घटकर वर्ष 2022-23 में 1.4 से 1.7 अरब डॉलर के बीच रह सकता है।