राजीव गांधी हत्याकांड के सभी 6 दोषी शुक्रवार को रिहा हो चुके हैं। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने नलिनी और आरपी रविचंद्रन समेत सभी दोषियों की रिहाई का आदेश दिया था।सुप्रीम कोर्ट ने 18 मई को इसी केस में दोषी पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया था। बाकी दोषियों ने भी उसी आदेश का हवाला देकर कोर्ट से रिहाई की मांग की थी।
जेल से बाहर आने के बाद अब नलिनी श्रीहरन ने कहा कि मैं इस बात को स्वीकार नहीं कर सकती कि राजीव गांधी की हत्या में मेरा नाम जोड़ा गया। हम कांग्रेस परिवार से हैं। जब राजीव गांधी और इंदिरा गांधी की हत्या हुई, हम लोग दुखी थे और हमारे परिवार ने खाना तक नहीं खाया था। नलिनी ने कहा, मुझे इस दोष से मुक्ति चाहिए, मैं नहीं जानती कि राजीव गांधी को किसने मारा था।
इस दौरान उन्होंने अपने पति समेत चार श्रीलंकाई नागरिकों को शिविर से रिहा करने की मांग की। उन्होंने कहा, जेल से छूटने के बाद उन्हें एक विशेष शिविर में रखा गया है, यह फिर से कैद जैसा है। मैं राज्य व केंद्र सरकार से उनकी रिहाई की अपील करती हूं। गौरतलब है कि जेल से रिहा होने के बाद संथन, मुरुगन, रॉबर्ट पायस और जयकुमार को त्रिची में विदेशियों के लिए एक विशेष शिविर में रखा गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था रिहाई का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इस मामले में जेल की सजा काट रहे छह आरोपियों को 31 साल तक जेल में रहने के बाद रिहा करने का आदेश दिया गया था। इससे पहले इसी साल मई में सुप्रीम कोर्ट ने एक अन्य दोषी एजी पेरारिवलन को आर्टिकल 142 का हवाला देते हुए रिहा किया था। न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने कहा था कि जिस नियम के तहत एजी पेरारिवलन को रिहाई दी गई थी, वो इस मामले में दोषी पाए गए अन्य पर भी लागू होती है। ये सभी आरोपी करीब 31 साल से जेल में बंद थे। बता दें कि राजीव गांधी की हत्या 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में आत्मघाती बम धमाके में हुई थी।