भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी के एक बयान पर विवाद छिड़ गया है। शुक्रवार को उन्होंने भाजपा और RSS को जय सियाराम कहने की नसीहत दी थी और जय श्रीराम और जय सियाराम में फर्क बताया था। अब भाजपा ने उनके बयान पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। यूपी के दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद और ब्रजेश पाठक और एमपी के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के अलावा कई और नेताओं ने राहुल गांधी को घेर लिया.
यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा कि राहुल गांधी नाटक मंडी के नेता हैं. वो कोट के ऊपर जनेऊ पहनते हैं. उनको भारत की संस्कृति के बारे में कुछ नहीं पता है. बस गली-गली दौड़ रहे हैं क्योंकि जानता ने इनको नकार दिया है.
वहीं डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने ट्वीट किया- भगवान श्रीराम के अस्तित्व को नकारने वाली कांग्रेस के सांसद श्री राहुल गांधी जी को जय श्रीराम न सही, बीजेपी ने जय सियाराम बोलने के लिए विवश कर दिया है, यह भाजपा की वैचारिक विजय और कांग्रेसी विचारधारा की हार है! अभी आपसे जय श्री राधारानी सरकार की और जय श्रीकृष्ण भी कहलवाना है!
वहीं, मध्यप्रेदश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि राहुल बाबा का ज्ञान बाबा- बाबा ब्लैक शिप’ तक ही सीमित है. उन्होंने राहुल गांधी पर तंज कसते हुए कहा कि उन्होंने गीता के पन्ने कभी पलटे नहीं होगें और रामायण कभी पढ़ी नहीं होगी, तो वो कैसे जानेंगे कि राम के नाम की शुरुआत ‘श्री’ से ही होती है. वहीं भाजपा के फायर ब्रांड नेता गिरिराज सिंह ने ट्वीट किया, राहुल गांधी को पहले सनातन धर्म समझना चाहिए. इसके लिए उन्हें कई जन्म लेना होंगे.
क्या कहा था राहुल गांधी ने
मध्य प्रदेश के मालवा में रैली को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा था, ‘एक पंडितजी में मेरे पास आए और कहा, ‘राहुल जी, भगवान राम एक तपस्वी थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन तपस्या में लगा दिया. गांधी जी ‘हे राम’ कहा करते थे. यह उनका नारा था’. फिर पंडित जी ने दूसरा नारा दिया- जय सिया राम या जय सीता जय राम। सीता और राम एक ही हैं. इसलिए नारा है जय सिया राम या जय सीता राम। यानी राम ने सीता के लिए जो किया, जाकर सीता के लिए युद्ध किया, सीता के लिए जो स्थान होना चाहिए, हम उसका सम्मान करते हैं. और तीसरा नारा है जय श्री राम, जहां हम भगवान राम की स्तुति करते हैं. आगे बढ़ते हुए पंडित जी ने मुझसे कहा, ‘आपको अपने भाषणों में पूछना चाहिए कि भाजपा केवल जय श्री राम क्यों कहती है, जय सिया राम, हे राम कभी नहीं.’