बिजली बिल में छूट का मामला
सरकार से चर्चा के बाद लेना था निर्णय
जल्दबाजी में की गई घोषणा -अशोक चव्हाण
मुंबई: बिजली बिल में वृद्धि के खिलाफ विपक्षी पार्टियों द्वारा किए जा रहे आंदोलन के बीच गुरुवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य के कैबिनेट मंत्री अशोक चव्हाण ने चौंकाने वाला खुलासा किया है. चव्हाण ने कहा कि राज्य के ऊर्जा मंत्री नितिन राउत ने बिजली बिल में छूट की घोषणा में जल्दबाजी कर दी. राउत को घोषणा करने से पहले पार्टी और सरकार से चर्चा करनी चाहिए थी. छूट देने की घोषणा करने से पहले अन्य प्रक्रिया का पालन करना आवश्यक था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
अशोक चव्हाण ने कहा कि बिजली बिल में छूट देने की घोषणा करना हमारी गलती थी, जिसे मैं स्वीकार करता हूँ. उन्होंने कहा कि राज्य में तीनों बिजली बिल कंपनियों के कितने ग्राहक है, किस कंपनी के ग्राहकों के अधिक बिल आए है इन सभी मुद्दों पर विस्तार से चर्चा होना चाहिए था उसके बाद ग्राहकों को क्या छूट देना है या नहीं, इस पर अंतिम निर्णय लेने के बाद घोषणा करने की जरूरत थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ और ऊर्जा मंत्री ने जल्दबाजी में बिजली बिल में छूट देने की घोषणा कर दी.
उन्होंने कहा कि लाकडाउन के दौरान आए बिल को एक साथ भरने पर 2 फीसदी का छूट सरकार ने दिया है, तो कोरोना अवधि के दौरान तीन महीने के बिजली भुगतान को कम करने के लिए प्रावधान किए गए हैं। वैसे तो बिजली बिल में छूट देने का फैसला राज्य सरकार को करना है. इसके बावजूद बिजली बिल में छूट देने को लेकर राज्य के ऊर्जा मंत्री नितिन राउत ने एक बार फिर वही पुराना गीत गाते हुए केंद्र सरकार को जिम्मेदार बताया. राउत ने कहा कि तेल की कीमतें गिरने के बावजूद केंद्र से हमें कोई राहत नहीं मिल रही है. कच्चे तेल की कीमत में आई गिरावट के बाद भी देश में तेल का भाव बढ़ता जा रहा है। राउत ने कहा कि राज्य का जीएसटी का 28,000 करोड़ रुपये केंद्र सरकार के पास पड़ा हुआ है, लेकिन उसे सरकार वापस नहीं दे रही है.