सेंट्रल ब्युरो ऑफ इन्व्हेस्टिगेशन (CBI) ने अब ICICI बैंक की पूर्व CEO चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को 3 दिन की हिरासत में ले लिया है। चंदा और दीपक कोचर को CBI ने एक दिन पहले शुक्रवार को गिरफ्तार किया। वीडियोकॉन ग्रुप को रेगुलेशन के खिलाफ जाकर दिए गए करोड़ों रुपए के लोन के मामले में ये गिरफ्तारी हुई। जब ये लोन दिए गए थे, उस समय चंदा बैंक में CEO और MD के पद पर थीं। इन लोन्स के NPA होने से बैंक को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ।
चंदा और दीपक कोचर को शनिवार को CBI की मुंबई स्पेशल कोर्ट में पेश किया गया। इसके बाद दोनों को CBI ने 3 दिन यानी 24 से 26 दिसंबर तक की हिरासत में लिया है। कोर्ट में सुनवाई के दौरान सीबीआई के वकील ने कहा कि हमने चंदा कोचर और दीपक कोचर को नोटिस भेजा था. इसके बावजूद भी जांच में सहयोग नहीं किया जा रहा था. सीबीआई ने कोर्ट से दोनों आरोपियों के लिए पुलिस हिरासत की मांग की थी. एक दिन पहले ही कोचर दंपति को दिल्ली से मुंबई लाया गया था.
सीबीआई के वकील ने कोर्ट में कहा कि वीडियोकॉन को लोन देने की वजह से आईसीआईसीआई बैंक को 1730 करोड़ का नुकसान हुआ. सीबीआई ने आरोप लगाया कि चंदा कोचर के ICICI बैंक में पद संभालने के बाद वीडियोकॉन की अलग-अलग 6 कंपनियों को लोन दिए गए. इनमें से दो लोन उन कमेटियों ने दिए चंदा कोचर जिसकी सदस्य थीं. उन्होंने अन्य कमेटियों को भी वीडियोकॉन ग्रुप को लोन देने के मामले में प्रभावित किया था.
सीबीआई के वकील ने कहा कि 2009 में वीडियोकॉन ग्रुप ने दीपक कोचर की कंपनी नुपावर रिन्यूबल्स को 64 करोड़ का लोन दिया. मुंबई के जिस फ्लैट में चंदा कोचर रह रही थीं, उसे दीपक कोटर के पारिवारिक ट्रस्ट को दे दिया गया. 1996 में इस फ्लैट की कीमत 5.25 करोड़ थी और 2016 में इसे 11 लाख रुपये में ट्रस्ट को दे दिया गया. सीबीआई के वकील ने कोर्ट को बताया कि मामले में क्रिमिनल ब्रीच ऑफ ट्रस्ट (आईपीसी 409) की धारा भी जोड़ना चाहती है.
संभावना जताई जा रही है कि वीडियोकॉन लोन मामले में सीबीआई की ओर से जल्द ही चार्जशीट दाखिल की जा सकती है. सूत्रों के अनुसार, चार्जशीट में वीडियोकॉन ग्रुप के वेणुगोपाल धूत के साथ कोचर दंपत्ति को भी नामजद किया जा सकता है. चंदा कोचर पर आरोप हैं कि उन्होंने वीडियोकॉन ग्रुप के प्रमोटर वेणुगोपाल धूत को आंख बंद कर लोन बांटा. जिसके एवज में कथित तौर पर नूपावर में करोड़ों रुपये का निवेश किया गया.
सीबीआई ने आईसीआईसीआई-वीडियोकॉन लोन मामले में पूछताछ के लिए कोचर दंपत्ति को शुक्रवार को सीबीआई मुख्यालय बुलाया था. कुछ देर चली पूछताछ के बाद दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया. सीबीआई ने आरोप लगाया कि कोचर दंपति पूछताछ में सहयोग नहीं कर रहे थे. जवाब देने में आनाकानी करने की वजह से चंदा कोचर और दीपक कोचर को गिरफ्तार कर लिया गया.
2012 में वीडियोकॉन ग्रुप को ICICI बैंक ने लोन दिया. जो बाद में एनपीए हो गया. 2018 में चंदा कोचर पर लोन देने में वित्तीय अनियमितताएं बरतने का आरोप लगा. जिसके बाद चंदा कोचर को आईसीआईसीआई के एमडी और सीईओ पद से इस्तीफा देना पड़ा. वीडियोकॉन लोन फ्रॉड केस में सितंबर 2020 में ईडी ने दीपक कोचर को गिरफ्तार किया था.