डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सोमवार को एक बार फिर सुनारिया जेल लौट आया है. डेरा प्रमुख की 21 दिन की फरलो आज यानी 28 फरवरी को पूरी हो गई. इसके साथ ही उसे आज सुबह कड़ी सुरक्षा के बीच गुरुग्राम डेरे से सुनारिया जेल पहुंचा दिया गया.
राम रहीम सुबह करीब 10.15 बजे कुंडली मानेसर पलवल एक्सप्रेसवे के रास्ते रोहतक के लिए रवाना हुआ. लगभग डेढ़ घंटे से ज्यादा की यात्रा कर राम रहीम का काफिला सुबह 11.52 बजे सुनारिया जेल पहुंचा. जब राम रहीम गुरुग्राम डेरे से निकल रहा था तो उस वक्त संयुक्त पुलिस आयुक्त और डीसीपी मौके पर मौजूद थे. डेरा प्रमुख के पहुंचने के मद्देनजर जेल की सुरक्षा बढ़ा दी गई और आसपास के क्षेत्र में भी घेराबंदी की गई है.
राम रहीम ने 21 दिन का फरलो प्रशासन की ओर से लागू की शर्तों के साथ पूरा किया है. कमिश्नरी की पुलिस की ओर से फर्रुखनगर सीमा तक पीसीआर व थाना प्रभारी को तैनात किया गया है. साथ ही उसके फरलो पूरा होने की सूचना झज्जर व रोहतक पुलिस के साथ पुलिस महानिदेशक को भी भेज दी गई है. राम रहीम ने फरलो खत्म होने से एक रात पहले यानी रविवार को डेरे पर जबरदस्त पार्टी की थी.
एक दिन पहले की थी पार्टी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रोजाना की अपेक्षा रविवार को डेरे पर सुबह से ही चहल-पहल बढ़ गई थी. रविवार की रात को एक छोटी पार्टी का आयोजन भी हुआ. जिसमें रिश्तेदार व करीबी दोस्त के साथ राम रहीम के शुभ चिंतक शामिल रहे. 21 दिन में राम रहीम अपने सभी करीबियों से मिल चुका है.
फरलो के दौरान मिली Z प्लस सुरक्षा
डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को फरलो के दौरान Z प्लस सुरक्षा दी गई. Z प्लस सुरक्षा के संबंध में एडीजीसीआईडी की तरफ से रोहतक रेंज कमिश्नर को पत्र लिखा गया. इसमें बताया गया कि गृह मंत्रालय से इनपुट मिले हैं कि राम रहीम को खालिस्तान समर्थित आतंकवादियों से खतरा है. सजा से पहले भी उसे धमकियां मिलती रही हैं. इस खतरे को देखते हुए गुरमीत राम रहीम की सुरक्षा को कड़ा किया जाना जरूरी है. वहीं, हरियाणा सरकार ने राम रहीम को फरलो के खिलाफ हाईकोर्ट में पूरा रिकॉर्ड सौंपकर स्पष्ट किया था कि फरलो का निर्णय तय प्रक्रिया के तहत लिया गया है. फरलो अवधि के दौरान जेड प्लस की सुरक्षा देने के आदेश के बाद गुरुग्राम स्थित डेरे के नामचर्चा घर में पुलिस अधिकारियों की संख्या बढ़ा दी गई थी.
डेरा प्रमुख को सीबीआई कोर्ट ने दो साध्यवियों से दुष्कर्म के मामले में 2017 में सजा सुनाई थी. उस समय पंचकूला में हिंसा होने के बाद डेरा प्रमुख को सड़क के रास्ते लाने की बजाय हेलीकाप्टर से सुनारिया जेल लाया गया था. वह तभी से यहीं पर बंद है. इसके बाद पत्रकार व डेरा प्रबंधक की हत्या के मामले में भी सजा सुनाई गई थी. डेरा प्रमुख कई बार पैरोल की भी मांग कर चुका था. इस बार 21 दिन की फरलो के माध्यम से वह पहली बार इतने दिन जेल से बाहर रहा.