चालक दल के लगभग 1,600 सदस्यों के लिए डिजाइन किया गया करीब 2,200 कमरों वाला देश का अब तक का सबसे बड़ा और पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत ‘आईएनएस विक्रांत’ आज राष्ट्र को समर्पित कर दिया गया है. पीएम नरेंद्र मोदी ने केरल के कोचीनमें आज आईएनएस विक्रांत का जलावतरण किया. यह भारत के समुद्री इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा जहाज है. प्रधानमंत्री पीएम मोदी ने कोचीन शिपयार्ड में 20,000 करोड़ रुपये की लागत से बने इस स्वदेशी अत्याधुनिक स्वचालित यंत्रों से युक्त विमान वाहक पोत का जलावतरण किया.
पोत के जलावतरण के कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने नए नौसैनिक ध्वज (निशान) का भी अनावरण किया, जो औपनिवेशिक अतीत को पीछे छोड़ते हुए समृद्ध भारतीय समुद्री विरासत के अनुरूप होगा.
भारतीय नौसेना के वाइस चीफ वाइस एडमिरल एसएन घोरमडे ने पहले कहा था कि आईएनएस विक्रांत हिंद-प्रशांत और हिंद महासागर क्षेत्र में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने में योगदान देगा. उन्होंने कहा कि आईएनएस विक्रांत पर विमान उतारने का परीक्षण नवंबर में शुरू होगा, जो 2023 के मध्य तक पूरा हो जाएगा. उन्होंने कहा कि मिग-29 के जेट विमान पहले कुछ वर्षों के लिए युद्धपोत से संचालित होंगे.
आईएनएस विक्रांत का सेवा में आना रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा. विक्रांत के सेवा में आने से भारत अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन और फ्रांस जैसे उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो जाएगा जिनके पास स्वदेशी रूप से डिजाइन करने और एक विमान वाहक बनाने की क्षमता है, जो भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल का एक वास्तविक प्रमाण होगा
युद्धपोत का निर्माण, भारत के प्रमुख औद्योगिक घरानों के साथ-साथ 100 से अधिक लघु, कुटीर एवं मध्यम उपक्रम द्वारा बनाए गए स्वदेशी उपकरणों और मशीनरी का उपयोग करके किया गया है. विक्रांत के जलावतरण के साथ, भारत के पास सेवा में मौजूद दो विमानवाहक जहाज होंगे, जो देश की समुद्री सुरक्षा को मजबूत करेंगे.
भारतीय नौसेना के संगठन, युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो द्वारा डिजाइन किया गया और बंदरगाह, जहाजरानी एवं जलमार्ग मंत्रालय के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के शिपयार्ड कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा निर्मित स्वदेशी विमान वाहक का नाम उसके शानदार पूर्ववर्ती भारत के पहले विमानवाहक ‘विक्रांत’ के नाम पर रखा गया है, जिसने 1971 के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
विक्रांत का अर्थ विजयी और वीर होता है. स्वदेशी विमानवाहक की नींव अप्रैल 2005 में औपचारिक स्टील कटिंग द्वारा रखी गई थी.