फरीदाबाद, 11 मई । समलैंगिक विवाह के खिलाफ गुरुवार को वकीलों ने राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री के नाम एडीसी अपराजिता को वरिष्ठ अधिवक्ता शिवदत्त वशिष्ठ एडवोकेट के नेतृत्व में ज्ञापन सौंपा। इस मौके पर शिवदत्त वशिष्ठ ने कहा भारतीय संस्कृति एवं समाजिक समरसता के लिए समलैंगिक विवाह घातक है। उन्होंने मांग की कि यह सुनिश्चित करने का प्रयास करें कि समलैगिंक विवाह न्याय पालिका द्वारा वैध घोषित न किया जाये, क्योंकि उक्त विषय पूर्ण रूप से विधायकों के क्षेत्राधिकार में आता है।
मनोज पंडित एडवोकेट ने कहा यदि समलैंगिक शादी को मान्यता देंगे तो इसका भविष्य क्या होग? समलैंगिक विवाह को लेकर पश्चिमी नजरिये के हिसाब से न सोचकर भारतीय संस्कृति और परंपरा के हिसाब से विचार करना चाहिए। इसे लेकर भविष्य में बहुत सी कानूनी जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है, जैसे अगर एक ही जैंडर के लोग शादी करेंगे तो गुजारा भत्ता कौन किसको देगा? घरेलू हिंसा में यदि एक ही जैंडर के लोग हैं, तो इसमें पीड़ित और अभियुक्त पक्ष कौन होगा? ससुराल, मायका, पितृधन व मातृधन क्या है इस पर विचार करना होगा वहीं, इनके द्वारा बच्चे गोद लिये जाने पर कौन माता होगा, कौन पिता होगा यह कैसे तय होगा?
उनका कहना है कि समलैंगिक जोड़ों को गोद लेने की अनुमति देना खतरे जैसा है। यदि इन्हें बच्चे गोद लेने की अनुमति दे भी जाती है, तो ऐसे बच्चों की समाज मे स्वीकारता बहुत ही कम होगी और उनके साथ दूसरे बच्चों द्वारा स्कूल व कॉलेजों में दुरव्यवहार किया जायेगा।
इस मौके महेंद्र चौधरी, कुलदीप जोशी, संजय दीक्षित, विजय यादव, कमल दलाल, लक्ष्मण तवर, रत्न चन्दीला, मितेश राठौड, ललित वर्मा, योगेन्द्र कुमार, सागर नागर, अफ़ाक ख़ान आदि अधिवक्तागण मौजूद थे।