नई दिल्ली, 11 जुलाई । सुप्रीम कोर्ट जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर अब दो अगस्त को सुनवाई करेगा। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान बेंच ने कहा कि हम सिर्फ संवैधानिक मामलों पर ही सुनवाई करेंगे।
आज वरिष्ठ वकील राजू रामचद्रंन ने बताया कि दो याचिकाकर्ता शाह फैसल और शेहला राशिद अपनी याचिका वापस ले चुके हैं। इसके बाद चीफ जस्टिस ने कहा कि इन दोनों के नाम लिस्ट से हटा दिए जाएं। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि रि आर्टिकल 370 (Re Article 370) के नाम से सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को सूचीबद्ध किया जाएगा। केंद्र सरकार ने साफ किया कि अनुच्छेद 370 लागू होने के बाद जम्मू-कश्मीर के बदले हालात को लेकर सरकार ने जवाब ज़रूर दाखिल किया है लेकिन इसको केस से जुड़े संवैधानिक सवालों के खिलाफ दलील के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।
केंद्र सरकार ने 10 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया। केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा है कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद पर अंकुश लगाने के लिए ही अनुच्छेद 370 को हटाया गया था, क्योंकि तीन दशक से आतंकवाद झेल रहा था। 2018 में पत्थरबाजी की 1767 घटनाएं हुईं। उसके बाद अब तक पत्थरबाजी की कोई घटना नहीं हुई। बंद और हड़ताल की 52 घटनाएं 2018 में हुईं और उसके बाद से कोई भी बंद और हड़ताल की घटना रिपोर्ट नहीं की गई। केंद्र ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 निरस्त करने के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि इस कदम से जम्मू-कश्मीर के लोग शांति, समृद्धि और स्थिरता के साथ जीने के साथ अब पर्याप्त आय भी अर्जित कर रहे हैं।
केंद्र का कहना है कि आजादी के बाद जम्मू-कश्मीर के लोगों को पहली बार देश के अन्य हिस्सों में रह रहे देशवासियों की तरह ही समान अधिकार मिले हैं। केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनायी जा रही है। इतना ही नहीं जनता की बेहतरी के लिए कई योजनाएं शुरू की गई हैं। घाटी में औद्योगिक विकास के लिए केंद्र ने 28,400 करोड़ रुपये का बजट रखा है। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर के लिए अब तक 78 हजार करोड़ रुपये के निवेश का प्रस्ताव भी आ चुका है।
पांच सदस्यीय बेंच में चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत शामिल हैं। गौरतलब है कि 2 मार्च, 2020 के बाद इस मामले को पहली बार सुनवाई के लिए लिस्ट किया गया है। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में कहा गया है कि अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद केंद्र ने कई कदम उठाए हैं। केंद्र ने राज्य के सभी विधानसभा सीटों के लिए एक परिसीमन आयोग बनाया है। इसके अलावा जम्मू और कश्मीर के स्थायी निवासियों को भी भूमि खरीदने की अनुमति देने के लिए जम्मू एंड कश्मीर डेवलपमेंट एक्ट में संशोधन किया गया है। याचिका में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर महिला आयोग, जम्मू-कश्मीर अकाउंटेबिलिटी कमीशन, राज्य उपभोक्ता आयोग और राज्य मानवाधिकार आयोग को बंद कर दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने 2 मार्च, 2020 को अपने आदेश में कहा था कि इस मामले पर सुनवाई पांच जजों की बेंच ही करेगी। सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच ने मामले को सात जजों की बेंच के समक्ष भेजने की मांग खारिज कर दी थी।