देश में महंगाई हर दिन बढ़ती जा रही है. आम जनता को एक बार फिर तगड़ा झटका लगा है. अक्टूबर में थोक महंगाई की दर होलसेल प्राइस इंडेक्स बढ़कर 12.54 फीसदी होगी गई है जो सितंबर में 10.66 फीसदी थी. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, महंगाई, 5 महीने के टॉप पर पहुंच गई है.
गौरतलब है कि ईंधन और बिजली की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण थोक महंगाई में इजाफा हुआ है. इसके साथ ही महंगाई की इस मार के लिए मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की कीमतों में आया उछाल भी बहुत बड़ी वजह हैं. होलसेल प्राइस इंडेक्स या थोक मूल्य सूचकांक का मतलब उन कीमतों से होता है, जो थोक बाजार में एक कारोबारी दूसरे कारोबारी से वसूलता है. यही वजह है आम जनता की हालत खस्ता हो रही है.
दरअसल, कीमतें थोक में किए गए सौदों पर आधारित होती हैं. इसकी तुलना में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) या उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आम ग्राहकों द्वारा दी जाने वाली कीमतों पर आधारित होता है. CPI पर आधारित महंगाई की दर को रिटेल इंफ्लेशन या खुदरा महंगाई दर भी कहते हैं. इसी आधार पर कीमत तय होती है.
शुक्रवार को रिटेल महंगाई दर के आंकड़े जारी हुए थे. इस आंकड़े के अनुसार, सितंबर महीने के मुकाबले अक्टूबर में रिटेल महंगाई दर 4.35 फीसदी से बढ़कर 4.48 फीसदी रही. हालांकि, ये आंकड़ा RBI के महंगाई दर अनुमान 2-6 फीसदी के अंदर ही है. लेकिन फिर भी आम जनता पर पड़ी महंगाई की मार साफ दिख रही है.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, ‘सितंबर के मुकाबले अक्टूबर में WPI 10.6 फीसदी से बढ़कर 12.54% हो गई है. वहीं, इस दौरान खाने-पीने के सामानों की थोक महंगाई दर 1.14 फीसदी से बढ़कर 3.06 फीसदी हो गई है. वहीं, सब्जियों का होलसेल प्राइस इंडेक्स -32.45 फीसदी से बढ़कर -18.49 फीसदी हो गई है. दूसरी तरफ मैन्युफैक्चरिंग प्रोडक्ट की WPI 11.41 फीसदी से बढ़कर 12.04 फीसदी हो गई है. आपको बता दें कि फ्यूल एंड पावर की थोक महंगाई में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी हुई है. यह 24.81 फीसदी से बढ़कर 37.18 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई है.
होलसेल प्राइस इंडेक्स या थोक मूल्य सूचकांक दरअसल, उन कीमतों से होता है, जो थोक बाजार में एक कारोबारी दूसरे कारोबारी से वसूलता है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अक्तूबर में थोक महंगाई बीते पांच महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गई है। ईंधन और बिजली की कीमतों में बेतहाशा तेजी के कारण थोक महंगाई बढ़ी में इजाफा हुआ है। इसके अलावा, खाने-पीने के सामानों की थोक महंगाई दर भी बढ़कर 1.14 फीसदी से बढ़कर 3.06 फीसदी हो गई है।
पिछले कुछ महीनों में समग्र मुद्रास्फीति में नरमी का प्राथमिक कारण यह है कि ईंधन की कीमतों में वृद्धि धीमी थी। लेकिन अक्तूबर में ईंधन मुद्रास्फीति फिर से बढ़कर 37.2 प्रतिशत हो गई, जो सितंबर के 24.8 प्रतिशत पर थी। इसके अलावा आपको बता दें कि यह आंकड़ा अगस्त के 26 प्रतिशत और जुलाई के 27 प्रतिशत रहा था।
आंकड़ों के मुताबिक, इस दौरान खाने-पीने के सामानों की थोक महंगाई दर खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति में भी माह-दर-माह आधार पर (-) 1.69 प्रतिशत की वृद्धि हुई। सब्जियों का होलसेल प्राइस इंडेक्स -32.45 फीसदी से बढ़कर -18.49 फीसदी हो गया है। इसके साथ ही विनिर्मित वस्तुओं की थोक महंगाई दर 11.41 फीसदी से बढ़कर 12.04 फीसदी हो गई है।
खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 4.48 फीसदी हुई
बीते हफ्ते खुदरा महंगाई के आंकड़े जारी किए गए थे। इसमें भी सितंबर की तुलना में बढ़ोतरी देखने को मिली थी। खाद्य कीमतों की कीमतों में तेजी से खुदरा महंगाई अक्तूबर में मामूली बढ़कर 4.48 फीसदी पर पहुंच गई है। हालांकि, यह अब भी आरबीआई के तय लक्ष्य के दायरे में है।
सरकार की ओर से बताया गया यह कारण
आम आदमी पर पड़ रही महंगाई की मार का अंदाजा इन आंकड़ों से लगाया जा सकता है। थोक महंगाई के आंकड़े जारी होने के बाद वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि अक्तूबर 2021 में मुद्रास्फीति की उच्च दर मुख्य रूप से पिछले वर्ष के इसी महीने की तुलना में खनिज तेलों, मूल धातुओं, खाद्य उत्पादों, कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, रसायन और रासायनिक उत्पादों की कीमतों में वृद्धि के कारण है।