नई दिल्ली, 13 जुलाई। केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को मुस्लिम समुदाय के हित में बताते हुए कहा कि तीन तलाक कानून की तरह ही यूसीसी भी आम नागरिकों के हितों की रक्षा करेगा।
आरिफ मोहम्मद खान ने गुरुवार को “समान नागरिक संहिता: समय की आवश्यकता” विषय पर व्याख्यान में कहा कि यूसीसी देश की एकता के लिए बहुत आवश्यक है। यह दुर्भाग्य है कि कुछ लोग इसे धर्म से जोड़कर देख रहे हैं, जबकि यूसीसी किसी धर्म को टारगेट नहीं करती अपितु यह देश के लोगों के लिए समान कानून की बात करता है। व्याख्यान का आयोजन गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति ने किया था।
उन्होंने कहा कि ये कानून यह काम करेगा कि अगर दो महिलाएं समान परिस्थितियों में कोर्ट जाती हैं तो कोर्ट यह नहीं पूछेगा कि तुम्हारा क्या धर्म है, बल्कि समान रूप से न्याय हर नागरिक का हक है, ये कानून यही सुनिश्चित करेगा। खान ने कहा कि 2019 से लेकर आज तक मुस्लिमों में तीन तलाक के मामलों में 96 प्रतिशत कमी आई है। इसका फायदा उन महिलाओं और उनके बच्चों को हुआ, जो तीन तलाक के बाद परेशान थे और उनके पास कोई साधन नहीं था। इस कानून से उनकी जिंदगी बदल गई। इसी प्रकार यूसीसी भी आम नागरिकों के हितों की रक्षा करेगा। राज्यपाल खान ने कहा कि भारत क्रांतियों का नहीं सक्रांतियों का देश है। हम अपनी सांस्कृतिक विविधताओं को साथ लेकर जीते हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति के उपाध्यक्ष विजय गोयल ने की। इस अवसर पर गोयल ने कहा कि इस बात की आवश्यकता महसूस की जा रही है कि भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए समान कानून होना चाहिए, चाहे वह किसी भी जाति और धर्म का क्यों न हो। यूसीसी का उद्देश्य एक पंथ निरपेक्ष कानून होता है। गोयल ने कहा कि यूसीसी के विरोधियों का कहना है कि यह क़ानून धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करेगा। जबकि यह कानून लैंगिक समानता को बढ़ावा देने, धर्म के आधार पर भेदभाव कम करने और कानून प्रणाली को सरल करने में मदद करेगा। इसका सबसे ज्यादा लाभ अल्पसंख्यकों को ही होगा।