दृढ़ इच्छा शक्ति से बने सुपर कोविड विजेता
मुंबई, वैश्विक महामारी कोरोना के संक्रमण का सबसे अधिक असर बुजुर्गों पर ही होता है। लेकिन 90 वर्ष के ऊपर के दो वरिष्ठ नागरिकों ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति से न केवल कोरोना को मात दी है बल्कि वे सुपर कोविड विजेता बनकर डॉक्टरों के लिए प्रेरणास्रोत बनकर सामने आए हैं। उम्र दराज लोगों में इम्यूनिटी सिस्टम कमजोर होने की वजह से डॉक्टर्स भी बुजुर्गों को इस बीमारी से बचने के लिए खास सावधानी बरतने की सलाह देते हैं। 90 वर्ष से अधिक उम्र के दो बुजुर्गों ने कोरोना को मात देकर कोरोना वारियर्स बन गए हैं।
जानकारी के अनुसार घनश्यामदास चंचलानी (92) और माधुरी संपत (91) को कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद मुंबई सेंट्रल के वॉकहार्ट अस्पताल में भर्ती कराया गया था। पनवेल निवासी घनश्यामदास चंचलानी को अचानक बुखार आ गया और दवा से भी उनकी हालत में सुधार नहीं हुआ। उनका स्वैब टेस्ट के साथ साथ ब्लड टेस्ट कराया गया तो उनकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई। परिजनों ने इलाज के लिए उन्हें मुंबई सेंट्रल के वॉकहार्ट अस्पताल में दाखिल कराया। इसी तरह का हालत माधुरी संपत का भी था। हड्डी में फ्रेक्चर होने के चलते पिछले छह महीनों से बिस्तर में थीं। उन्हें भी अचानक बुखार और शरीर में दर्द की शिकायत होने पर वॉकहार्ट अस्पताल लाया गया, जहां जांच में उन्हें भी कोरोना पॉजिटिव पाया गया। दृढ़ इच्छाशक्ति और संकल्प के कारण दोनों बुजुर्गों ने कोरोना वायरस को भी इस उम्र में मात दे दी। वॉकहार्ट अस्पताल के कन्सल्टेंट फिजिशियन और डायरेक्टर इंटरनल मेडिसिन डॉ. बेहराम पारदीवाला की देखरेख में दोनों मरीजों का इलाज किया गया। डॉ. बेहराम पारदीवाला ने बताया कि जब इन्हें अस्पताल ले आया गया तो दोनों को तेज बुखार था। दोनों परिवार का टेस्ट भी किया गया जिसमें चंचलानी का बेटा पॉजिटिव पाया गया और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। इसके बाद दोनों का इलाज शुरू किया गया। हम दिन में तीन बार उनके ऑक्सीजन के स्तर की जाँच कर रहे थे। 12 दिनों के बाद, उनका सामान्य ऑक्सीजन स्तर 98 था। उनकी हालत में सुधार देखने के बाद उन्हें छोड़ दिया गया। फिलहाल दोनों को 14 दिनों के लिए घर पर ही क्वारंटाइन में रहना होगा।