मुंबई। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने शरद पवार (Sharad Pawar) की उपस्थिति में हुए एक निर्णय पर स्टे लगा दिया है. एक तरफ कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले ने एक बार फिर अगले सभी चुनाव आघाड़ी से बाहर जाकर अपने दम पर लड़ने का राग आलापा है. दूसरी तरफ इस निर्णय से अब एनसीपी (NCP) और शिवसेना Shivsena) के बीच मतभेद भी खुल कर सामने आए हैं.
दरअसल कुछ दिनों पहले एनसीपी प्रमुख शरद पवार की उपस्थिति में महाराष्ट्र गृहनिर्माण व क्षेत्र विकास प्राधिकरण- म्हाडा के 100 फ्लैट्स टाटा कैंसर अस्पताल को दिए गए. हजारों मरीज देशभर से मुंबई के इस परेल स्थित प्रतिष्ठित अस्पताल में कैंसर का इलाज करवाने आते हैं. उनमें से गरीब मरीजों के रिश्तेदारों को अस्पताल के बाहर फुटपाथ पर रातें बितानी पड़ती हैं. उनके रहने की व्यवस्था करने के मकसद से ये फ्लैट्स टाटा अस्पताल को दिए गए थे. लेकिन इस निर्णय को मुख्यमंत्री ने स्थगित कर दिया है. और गृह विभाग के मुख्य सचिव से इस बारे में रिपोर्ट मांगी गई है.
क्या है पूरा मामला ?
मुंबई के परेल स्थित टाटा मेमोरियल अस्पताल में कैंसर का इलाज करवाने के लिए देश भर से मरीज आते हैं. इन मरीजों के रिश्तेदारों में से कई लोगों की हैसियत इतनी नहीं होती है कि वे पेशेंट की देखरेख के लिए मुंबई में रहने का खर्च उठा सकें. ऐसे लोगों के लिए परेल-शिवडी इलाके के करी रोड में हाजी कासम चॉल के पुनर्विकास किए जाने के बाद जो बचे हुए फ्लैट्स थे उनमें से 100 फ्लैट्स टाटा मेमोरियल अस्पताल को दिया गया था.
इन फ्लैट्स में टाटा अस्पताल मरीजों के रिश्तेदारों को इलाज के दौरान रहने की सुविधा देने वाला था. बदले में टाटा मेमोरियल अस्पताल की ओर से सरकार को भाड़े के तौर पर हर साल सिर्फ एक रुपया दिया जाना था. ये सारे फ्लैट्स 300 स्क्वायर फुट के हैं. एनसीपी नेता और कैबिनेट मंत्री जितेंद्र आव्हाड के इस निर्णय पर शिवसेना विधायक अजय चौधरी ने आपत्ति जताई थी.