लोकल चालू मगर काम धंधा बंद
डिब्बावालों की जारी है बेरोजगारी
दिहाड़ी मजदूरी से घर चलाना मुश्किल
मुंबई-अपनी अनोखी कार्यशैली से बिना किसी गलती के लाखों लोगों को कार्यस्थल पर उनके घर का खाना पहुंचाने वाले डिब्बावालों की बेरोजगारी आज भी जारी है. हालांकि सरकार ने उन्हें लोकल में यात्रा करने की इजाजत तो कब से दी हुई है लेकिन आम लोगों पर अभी भी रोक लगी होने से उन्हें टिफिन पहुंचाने का कार्य नहीं मिल रहा है. मजबूरन उन्हें दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करना पड़ रहा है. इसमें भी कभी कभी ही काम मिलता है, बाकी बेकार ही बैठना पड़ रहा है. जिससे उन्हें परिवार पालना मुश्किल हो रहा है.
मुंबई डब्बावाला संगठन के अशोक रोंदल ने बताया कि अगर ऐसी स्थिति बनी रही तो हजारों डिब्बावालों को घर चलाना भारी हो जाएगा। अभी तक मुंबई पूरी तरह से खुली नहीं है, इसलिए लोकल शुरू होने के बाद भी टिफिन का कारोबार बंद है। क्योंकि लोकल द्वारा मुंबई में काम करने आने वाले लोगों की संख्या अभी भी बहुत कम है और ज्यादातर निजी कार्यालय बंद हैं। इससे डब्बेवाले पूरी तरह से निराश हैं।
अगर सरकार जल्द कुछ नहीं करती है, तो शायद हमें भुखमरी का सामना करना होगा। हम वही डिब्बावाले हैं जिनकी तारीफ इंग्लैंड के राजकुमार भी कर चुके हैं. आज मुझे मुंबई में निजी कैंटीन में डिब्बे पहुंचाने का काम करना पड़ रहा है। इसी तरह से एक और डिब्बावाले गणपत का भी वही हाल है. गणपत किराने की दुकान से किराने का सामान देने का काम कर रहा है।