एनबीटी से सेवानिवृत्त वरिष्ठ पत्रकार सरोज त्रिपाठी का आज मीरा रोड स्थित वॉकहार्ट अस्पताल में निधन हो गया।
अभी तीन महीने पहले ही उनके पिता व मुम्बई विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रहे अनंतराम त्रिपाठी का भी निधन हुआ था। मीरा रोड के टेम्भा अस्पताल और बाद में वोकहार्ड में 23 अप्रैल से जारी उनका संघर्ष आज सुबह 8.30 पर खत्म हो गया।
वह कोरोना को तो परास्त कर चुके थे लेकिन क़ुदरत को कुछ और ही मंज़ूर था।
सरोज त्रिपाठी हमेशा प्रगतिशील सुधारों के समर्थक रहे।
आपातकाल के बाद के दिनों में क्रांतिकारी परिवर्तन के लिए छात्र आंदोलन का महत्वपूर्ण हिस्सा थे।
मुंबई विद्यापीठ का उनका आंदोलन आज भी लोग याद करते हैं।
वही गुण वह अपने विद्यार्थियों में रोपने का अंत तक प्रयत्न करते रहे।
नवभारत टाइम्स से जुड़े सरोज त्रिपाठी का कॉलम ‘ग्राहक’ लोगों के बीच खासा लोकप्रिय था।
सरोज त्रिपाठी एक युग दृष्टा थे।
अपने साथियों और विद्यार्थियों को अपने विवेक की आवाज पहचानने का गुर वह हमेशा अपने विद्यार्थियों को सिखाते रहे।
ये उसी दुनिया को बदलना चाहते थे, जिसने इन्हें हमेशा उपेक्षित रखा। वह हर तरह के आडंबरों से दूर रहकर सादगी भरा जीवन जीते रहे।
अपनी बेबाक और निष्पक्ष शैली से अपनी छाप छोड़ने वाले पत्रकार माने जाते थे। उनकी दृष्टि में मानवता सर्वोपरि थी कोई भी धर्म बाद में।
सरोज त्रिपाठी जी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि।