अब कोरोनावायरस से बचने के लिए इंजेक्शन की जरूरत नहीं पड़ेगी। दुनिया की पहली नेजल कोरोना वैक्सीन को भारत सरकार ने मंजूरी दे दी है। कोरोना के नए वेरिएंट के खतरे के मद्देनजर अलर्ट केंद्र सरकार ने देश में अब नोजल वैक्सीन को मंजूरी दे दी है। कोवैक्सिन बनाने वाली हैदराबाद की भारत बायोटेक ने इसे वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन (WUSM) के साथ मिलकर बनाया है।
नाक से ली जाने वाली इस वैक्सीन को बूस्टर डोज के तौर पर लगाया जा सकेगा। सबसे पहले इसे प्राइवेट अस्पतालों में उपलब्ध कराया जाएगा, जिसके लिए लोगों को पैसे देने होंगे। न्यूज एजेंसी के मुताबिक, इसे आज से ही कोरोना वैक्सीनेशन प्रोग्राम में शामिल कर लिया गया है।
DCGI ने इंट्रा नेजल कोविड वैक्सीन को 18+ साल के लिए मंजूरी दी है। भारत बायोटेक की इस वैक्सीन का पहले BBV154 नाम था अब इसे iNCOVACC नाम दिया गया है। भारत बायोटेक के अनुसार, iNCOVACC भंडारण आसान है। iNCOVACC का वितरण भी बेहद आसान है। इसे सिर्फ दो से आठ डिग्री सेल्सियस पर रखा जा सकता है।
गौरतलब है कि गुरुवार को ही कोरोना संकट के चलते प्रधानमंत्री मोदी ने आला अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की थी। इस बैठक के बाद आज शुक्रवार को मोदी सरकार ने अहम फैसला लेते हुए इंट्रानेजल वैक्सीन (Intranasal Covid vaccine) को मंजूरी दे दी है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने गुरुवार को राज्यसभा में नई Nasal कोरोना वैक्सीन के बारे बताया कि, एक्सपर्ट कमेटी ने Nasal वैक्सीन को मंजूरी दे दी है। भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड 28 नवंबर को ऐलान किया था कि, iNCOVACC BBV154 नाक से खुराक देने वाली (बगैर सुई के) दुनिया की पहली कोविड वैक्सीन बन गई है। इसे इंट्रानेजल कोविड वैक्सीन के नाम से पुकारा जाएगा।
केंद्र सरकार ने इससे पहले भी नेजल वैक्सीन को मंजूरी दी गई थी। 6 सितंबर को भारत के औषधि महानियंत्रक (DCGI) ने उस समय केवल आपातकालीन उपयोग के लिए इसको मंजूरी दी थी। डीसीजीआई ने 18 साल के ऊपर के लोगों को इसकी मंजूरी दी थी।
नेजल वैक्सीन कैसे काम करती है
नेजल स्प्रे वैक्सीन को नाक के जरिए दिया जाता है। यह नाक के अंदरुनी हिस्सों में इम्यून तैयार करती है। अंदरूनी हिस्सों में इम्युनिटी तैयार होने से ऐसे बीमारियों को रोकने में ज्यादा असरदार साबित होती है जो हवा के जरिए फैलती है। नेजल वैक्सीन के एक्सपर्ट का कहना है कि, अन्य वैक्सीनों की तुलना में नेजल वैक्सीन बेहतर और कारगर साबित होगी।
देश में अब तक 8 वैक्सीन को मंजूरी मिल चुकी है। ये सभी इंट्रामस्कुलर वैक्सीन हैं, यानी इन्हें इंजेक्शन के जरिए दिया जाता है। वहीं, BBV154 इंट्रानेजल वैक्सीन है। अभी देश में स्पूतनिक, कोवीशील्ड और कोवैक्सीन लगाई जा रही है। ये तीनों वैक्सीन डबल डोज वैक्सीन हैं।
नेजल वैक्सीन की एक डोज ही कारगर
इस समय भारत में लग रही वैक्सीन के दो डोज दिए जा रहे हैं। दूसरे डोज के 14 दिन बाद वैक्सीनेट व्यक्ति सेफ माना जाता है। ऐसे में नेजल वैक्सीन 14 दिन में ही असर दिखाने लगती है। इफेक्टिव नेजल डोज न केवल कोरोनावायरस से बचाएगी, बल्कि बीमारी फैलने से भी रोकेगी। मरीज में माइल्ड लक्षण भी नजर नहीं आएंगे। वायरस भी शरीर के अन्य अंगों को नुकसान नहीं पहुंचा सकेगा।
यह सिंगल डोज वैक्सीन है, इस वजह से ट्रैकिंग आसान है। इसके साइड इफेक्ट्स भी इंट्रामस्कुलर वैक्सीन के मुकाबले कम हैं। इसका एक और बड़ा फायदा यह है कि सुई और सीरिंज का कचरा भी कम होगा।