मथुरा के रिक्शा चालक को 3 करोड़ रुपए के इंकम टैक्स का नोटिस मिला है. आयकर विभाग के चक्कर लगाने के बाद अब उसने थाना हाईवे में अपने साथ जालसाजी होने की शिकायत की है. रिक्शा चलाकर गुजारा करने वाले प्रताप सिंह को मिले नोटिस में कहा गया है कि जीएसटी के मुताबिक उसका टर्न ओवर 43 करोड़ 40 लाख रुपए है। इस आधार पर उसे 3. 50 करोड़ का आयकर जमा करना होगा.
मूल रूप से गोवर्धन के अडींग कस्बे का रहने वाला प्रताप सिंह 1997 में अमर बिहार कॉलोनी में आ कर रहने लगा. उसने पहले एक नल बनाने वाली फैक्टरी में काम किया और उसके बाद रिक्शा चलाने लगा. प्रताप सिंह ने बताया कि उसने 15 मार्च 2018 को जन सुविधा केंद्र से बैंक खाते में लगाने के लिये पैन कार्ड बनवाने के लिए आवेदन किया.
बैंक में खाता खुलवाने के इच्छुक प्रताप सिंह ने करीब ढाई साल पहले अपने घर के पास जन सुविधा केंद्र में जाकर पैन के लिए आवेदन किया था. केंद्र संचालक ने कहा कि एक माह में उनका कार्ड आ जाएगा. लेकिन नहीं आया. रिकॉर्ड चेक करने पर पता चला कि कूरियर कंपनी ने यह कार्ड संजय सिंह नाम के साइबर कैफे संचालक को दिया है. जबकि कुरियर के नियमों के मुताबिक यह पैन कार्ड धारक को खुद या उसके वैध पते पर पहुंचाना था. जब रिक्शा चालक ने चक्कर लगाया तो उसे पैन कार्ड का रंगीन प्रिंट दिया गया. रिक्शाचालक इस बात से अनजान था कि उसके नाम पर करोड़ों रुपये का धंधा चल रहा है.
जिन शातिरों ने रिक्शा चालक का असली पैन कार्ड उड़ा लिया था. उन्होंने उसके नाम से जीएसटी में पंजीकरण कराया. लगभग 43.44 करोड़ रुपये का टर्नओवर एक ही साल (2018-2019) में कर डाला. आयकर एवं जीएसटी के बीच हुए एमओयू के कारण दोनों विभाग एक दूसरे से डाटा शेयरिंग करते हैं. इसी डाटा शेयरिंग की पड़ताल में आयकर के प्रोजेक्ट इंसाइट के सॉफ्टवेयर को यह केस संदिग्ध लगा. क्योंकि इसमें भारी भरकम टर्नओवर के बावजूद रिटर्न दाखिल नहीं किया जा रहा था. फरवरी 2020 में पैन कार्ड धारक को नोटिस भेज दिया गया. नोटिस दर नोटिस भेजे गए। जो कि संभवत: रिक्शा चालक तक पहुंचे ही नहीं.
पैन कार्ड धारक के सामने न आने के बाद विभाग ने आयकर नियमों के अनुसार मामले की स्क्रूटनी की. जीएसटी के 43.44 करोड़ रुपये के टर्नओवर को आधार बनाया. इस राशि पर आठ फीसदी की दर मुनाफा माना गया. सरचार्ज, टैक्स, पेनल्टी सहित अन्य सभी को जोड़ते हुए देय टैक्स की राशि 3.47 करोड़ रुपये पहुंच गई. रिक्शा चालक को अंतिम रूप से अपनी बात रखने एवं देय टैक्स का चिठ्ठा हाल में उसे फिर भेज दिया गया. यह मिलते ही रिक्शा चालक प्रताप सिंह घबरा गया और विभाग पहुंचा. यहां राहत नहीं मिली तो थाने आकर तहरीर दी. हालांकि मुकदमा दर्ज नहीं किया गया है.