मुंबई। वैश्विक महामारी कोरोना से निपटने के लिए मुंबई महानगर पालिका अब तक 1632 करोड़ से अधिक रुपए खर्च कर चुकी है।मनपा को अगले तीन महीने, अर्थात मार्च 21 तक इस महामारी से निपटने के लिए और 400 करोड़ रुपए खर्च होने की संभावना है।मनपा का कहना है कोरोना महामारी से निपटने के लिए रखी गई आकस्मिक निधि में से अब मात्र 29,93 करोड़ रुपया ही शेष बचा हुआ है।
उल्लेखनीय है कि कोरोना महामारी फ़ैलने के बाद मनपा प्रशासन ने मरीजों को ईलाज और अन्य प्रकार की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए आकस्मिक निधि की व्यवस्था की थी. इसका उपयोग कोरोना के फैलाव पर रोक लगाने और मरीजों के लिए पर खर्च किया जाना था।मनपा अब तक 1632,64 करोड़ रुपए मरीजों के ईलाज से लेकर सुविधा मुहैया कराने तक पर खर्च कर चुकी है।
कोरोना महामारी से निपटने के लिए अब मनपा के पास आकस्मिक निधि में मात्र 29.93 करोड़ रुपया ही शेष बचा हुआ है। मनपा प्रशासन को संभावना है कि मार्च महीने तक इस महामारी से निपटने के लिए 400 करोड़ रुपए की और जरूरत पड़ सकती है। मनपा ने शुरू में आपातकाल के लिए 1200 करोड़ रुपया रखा था।
महामारी से पीड़ित मरीजों के ईलाज और अन्य सुविधा पर इसके अलावा 450 करोड़ खर्च कर चुकी है जिसकी अनुमति के लिए भी मनपा प्रशासन ने स्थाई समिति के सम्मुख प्रस्ताव रखा है। कोरोना महामारी से निपटने के लिए मनपा द्वारा जंबो कोविड सेंटर से लेकर महामारी के विस्तार को रोकने के लिए संक्रमित मरीजों के परिजन, यहां तक कि उसके पड़ोसियों को भी दूसरी जगह पर होम क्वारंटाईन किया गया।
मनपा पर भ्रष्टाचार का आरोप
मनपा प्रशासन पर कोरोना महामारी के दौरान किए गए खर्च पर भ्रष्टाचार करने का आरोप सत्ताधारी शिवसेना, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी भी लगा रही है। जबकि कोरोना महामारी की आड़ में भ्रष्टाचार किए जाने का आरोप भाजपा ने सबसे पहले लगाया और इसकी जांच करने के लिए राज्यपाल से लेकर लोकायुक्त तक गुहार लगाई है।
भाजपा के आरोपों से मनपा प्रशासन पहले ही घिरा हुआ था. अब सत्ताधारियों द्वारा भी मनपा पर अनाप-सनाप खर्च किए जाने का आरोप लगाए जाने के बाद कोरोना काल मे हुए खर्च को लेकर सेवानिवृत्त जज से पूरे मामले की जांच कराने की मांग की गई है।