बेगूसराय, 12 जुलाई । राज्यसभा सांसद प्रो. राकेश सिन्हा ने कहा है कि एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी आज के युग में भी महिलाओं को पिंजरे में बंद रखना चाहते हैं। वह संविधान के दायरे वाले कानून के संबंध में उल-जलूल बात कर लोगों के बीच भ्रम पैदा कर रहे हैं।
अपने गृह जिला बेगूसराय के प्रवास पर आए प्रो. राकेश सिन्हा ने बुधवार को कहा कि असदुद्दीन ओवैसी भारत के संविधान में आस्था नहीं रखते हैं। समान नागरिक संहिता (यूसीसी) संविधान का हिस्सा है। संविधान सभा में बहस के बाद इसे राज्य के नीति निर्देशक तत्व में शामिल किया गया।
समान नागरिक संहिता 1950-60 के दशक में ही बन जाना चाहिए था। जब हिंदुओं के सभी कानून और सभी संहिताओं का अध्ययन करके उसका कोडिफिकेशन कर हिंदू कोड बिल बन गया, तो बाकी धर्म का क्यों नहीं बना। सवाल धर्म का नहीं है। सवाल है कि लैंगिक समानता की जो बात की जाती है उसे दायरे में लाना।
राकेश सिन्हा ने कहा कि विवाह, तलाक और उत्तराधिकार के मामले में संवैधानिक तरीके से निर्णय लेकर समानता स्थापित करना है। कोई न्याय जब एक धर्म की महिला को मिल रहा है तो वह न्याय दूसरे धर्म की महिला को भी मिलना चाहिए। लेकिन कुछ लोगों को यह पसंद नहीं है।
असदुद्दीन ओवैसी पितृसत्तात्मक धर्म को और मजबूत बनाना चाहते हैं। वह महिलाओं को पिंजरे में बंद रखना चाहते हैं, जो कि अब संभव नहीं है। हम लोकतांत्रिक तरीके से विमर्श करके समान नागरिक संहिता लाएंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा इस पर चर्चा का उद्देश्य है कि आम लोग इस चर्चा में भागीदारी दिखाएं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का उद्देश्य है कि आम लोगों की भावना और विवेक में यह बात जानी चाहिए कि संविधान के अंदर दी गई धारा, दिए गए प्रावधान और भावनाओं के अनुरूप पूरे देश में एक कानून बने। लेकिन ओवैसी कहते हैं कि देश में हमारी पहचान मिटाने के लिए यूसीसी लागू किया जा रहा है।