जंतर-मंतर के पास भड़काऊ नारेबाजी के मामले में गिरफ्तार BJP नेता अश्विनी उपाध्याय (Ashwini Upadhyay) को को जमानत मिल गई है. दिल्ली की एक अदालत ने उन्हें इस मामले में बुधवार को जमानत दे दी. अश्विनी उपाध्याय को 50 हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी गई है. जंतर-मंतर पर प्रदर्शन के दौरान मुस्लिम विरोधी नारे लगाते हुए एक वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आने के बाद सोमवार को उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया था.
अश्विनी उपाध्याय समेत 6 लोगों को दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को ही गिरफ्तार किया था. उपाध्याय के अलावा इस मामले में दीपक सिंह, विनोद शर्मा, विनीत बाजपाई, प्रीत सिंह और दीपक कुमार नाम के शख्स को अरेस्ट किया गया था. इन सभी लोगों पर धार्मिक उन्माद बढ़ाने और कोरोना नियमों के उल्लंघन के आरोप में केस दर्ज किया गया था.
दिल्ली पुलिस के वकील अश्विनी उपाध्याय के खिलाफ कोई भी सबूत नहीं दे पाए. पटियाला हाउस कोर्ट ने बीजेपी नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय को मामले में कल 2 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा था.
जंतर मंतर पर 8 अगस्त की शाम को हुए एक कार्यक्रम में भड़काऊ भाषण के मामले से देश भर में सनसनी फैल गई थी. संसद के एकदम पास इस तरह की घटना को लेकर दिल्ली पुलिस पर भी सवाल उठे थे. वहीं इस कार्यक्रम के आयोजक बताए जाने वाले अश्विनी उपाध्याय का कहना था कि वह दोपहर में ही चले गए थे और इस तरह की नारेबाजी से उनका कोई लेना-देना नहीं है. उपाध्याय को अदालत ने दो दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा था, जिसके बाद उन्होंने बेल के लिए अप्लाई किया था.
मंगलवार को ट्विटर पर उपाध्याय ने कहा था, “कभी सोचा नहीं था कि अंग्रेजी कानूनों को खत्म करने और समान संहिता लागू करने की मांग करने के कारण सेक्युलर इतने नाराज हो जाएंगे. जंतर मंतर पर एक व्यक्ति ने फांसी लगाया था. क्या उसके लिए केजरीवाल से पूछताछ हुई थी. वीडियो में शामिल लोगों से न तो मैं कभी मिला और न तो कभी उन्हें देखा.” उन्होंने कहा था, “मैं रहूँ या न रहूँ. अंग्रेजी कानून खत्म होना चाहिए और समान शिक्षा, समान चिकित्सा, समान कर संहिता, समान दंड संहिता, समान श्रम संहिता, समान पुलिस संहिता, समान न्यायिक संहिता, समान नागरिक संहिता, समान धर्मस्थल संहिता और समान जनसंख्या संहिता लागू होना चाहिए.”