पुणे। राज्य सरकार ने हाल में 23 गांवों को पुणे महानगरपालिका में शामिल करने का निर्णय किया है. मनपा में शामिल होने वाले 23 नए गांवों में से अधिकांश में बड़ी संख्या में अनधिकृत निर्माण हुए हैं।वाघोली, खडकवासला, नरहे, किर्कट वाड़ी के गांवों में ऊंचे-ऊंचे भवन बनाए गए हैं, जो अनधिकृत निर्माणों की तस्वीर पेश करते है। इसलिए मनपा की सीमा में आने के बाद भी गांव में अनाधिकृत निर्माण की समस्या बनी रहेगी.
अपर्याप्त जलापूर्ति, अवरुद्ध सड़कों, स्वास्थ्य केंद्रों की कमी, सीवरों का अपर्याप्त नेटवर्क, गांवों में ठोस कचरा प्रबंधन परियोजनाओं की कमी जैसे अनेक चुनौतियों का सामना करते हुए इन सुविधाओं को गांवों में विकास करते हुए मनपा को उपलब्ध कराना होगा.
गौरतलब हो कि मनपा क्षेत्र में शामिल करने से पहले, ये सभी 23 गांव पुणे महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (पीएमआरडीए) की सीमा के भीतर आते थे। पीएमआरडीए के रिकॉर्ड के मुताबिक इन गांवों में 16,938 अनधिकृत निर्माण हैं। पीएमआरडी ने समय-समय पर गांव में बिल्डरों को नोटिस भी जारी किया था। वर्तमान में स्थानीय लोग ऐसे निर्माणों को ग्राम पंचायत के साथ पंजीकृत करने के लिए दौड़ रहे हैं।
अनधिकृत निर्माण पर मनपा कर बचाने के लिए लोग ग्राम पंचायत कार्यालयों का चक्कर लगा रहे हैं। ग्राम पंचायत निर्माण कर बचाने के लिए गांव के लोगों ने निर्माण का पंजीयन नहीं कराया।यदि मनपा सीमा के अंतर्गत आने वाले गांवों के निर्माण का रिकॉर्ड नहीं मिलता है, तो तीन गुना जुर्माना लगाया जाएगा। जानकारी के अनुसार दलालों के माध्यम से जुर्माने से बचने के लिए हजारों रुपए रिश्वत देकर पुरानी तारीख के साथ निर्माण रिकॉर्ड दिखाया जा रहा है।
बुनियादी ढांचा चुनौतियां
23 गांवों के विकास के लिए कम से कम 10,000 करोड़ रुपये की जरूरत है। इतनी बड़ी राशि उपलब्ध कराने के लिए मनपा वित्तीय स्थिति में नहीं है। विकास के लिए बजट से अधिक धन की आवश्यकता होगी। कोरोना के चलते स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने पर सबसे ज्यादा खर्च हो रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि गांवों में सीवरों का नेटवर्क, जलापूर्ति योजना, सीवेज का निर्माण, सड़कों, फुटपाथों, कचरा शोधन योजनाओं, शिक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं को कैसे सुदृढ़ किया जाएगा।