ओड़िशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा शुरू हो चुकी है. आज से रथ यात्रा की शुरूआत हो चुकी है, और देवशयनी एकादशी के दिन समापान होगा. कोरोना महामारी की वजह से बिना श्रद्धालुओं के हीं रथ यात्रा निकाली गई.
आमतौर पर हर साल रथ यात्रा के लिए करीब 10 लाख लोग इकट्ठा होते हैं, लेकिन महामारी ने इसपर अंकुश लगा दिया है. कोविड प्रतिबंध के कारण इस साल भी लाखों की सख्या में भक्त बड़दाण्ड में रथारूढ चतुर्धा विग्रहों के साक्षात दर्शन से वंचित हुए हैं। ऐसे में जगन्नाथ मंदिर के सेवक तीनों रथों को खींच रहे हैं।
कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर रथ यात्रा में केवल तीन रथों और दो अन्य गाड़ियों के अलावा किसी भी प्रकार के वाहन को हिस्सा लेने की अनुमति नहीं है. इस बार रथ यात्रा के दौरान गायन मंडली, अखाड़े, हाथी या सजे हुए ट्रकों को अनुमति नहीं दी जाएगी।
पुरी में फिलहाल 48 घंटे का कर्फ्यू है, जो रविवार रात 8 बजे से लागू है. जिला प्रशासन के आदेश के अनुसार प्रतिबंध रविवार को रात 8 बजे से 13 जुलाई को रात 8 बजे तक लागू रहेगा. ओडिशा सरकार ने पुरी के सभी एंट्री प्वाइंट्स को सील कर दिया है. राज्य सरकार ने लोगों से अपील की है कि वो त्योहार के दौरान पुरी न जाएं और इसके बजाए टीवी पर रथ यात्रा का सीधा प्रसारण देखें.
रथ यात्रा में हिस्सा लेने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए निगेटिव आरटीपीसीआर रिपोर्ट दिखाना अनिवार्य किया गया है. इसके अलावा कोरोना टीके की दोनों खुराक ले चुके लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी. रथ यात्रा में हिस्सा लेने वाले प्रत्येक व्यक्ति को मास्क पहनना होगा और साथ ही शारीरिक दूरी के नियम का भी पालन करना होगा.
महाप्रभु के इस अनुपम रूप को देखने के लिए जहां हर साल जगन्नाथ धाम लाखों की संख्या में भक्तो की भीड़ होती थी, वहीं पिछले साल की तरह इस साल भी बिना भक्तों के महाप्रभु की रथयात्रा निकाली जा रही है। जगन्नाथ धाम पुरी में आज बिन भक्तों के ही महाप्रभु की विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा कड़ी सुरक्षा के बीच निकाली जा रही है।
आषाढ़ शुक्ल द्वतीया तिथि में आज महाप्रभु रत्न सिंहासन से बाहर निकल कर नौ दिन की यात्रा में भाई बहन के साथ गुंडिचा यात्रा पर जाएंगे। जानकारी के मुताबिक निर्धारित समय से पहले ही सकाल धूप, खिचड़ी भोग नीति सम्पन्न होने के बाद रथ प्रतिष्ठा किया गया गया। इसके बाद श्रीविग्रहों की धाड़ी पहंडी बिजे शुरू हुई है। सबसे पहले चक्रराज सुदर्शन की धाड़ी पहंडी बिजे की गई। इसके बाद भाई बलभद्र एवं बहन सुभद्रा को पहंडी बिजे में लाकर रथ पर विराजमान किया गया। सबसे अंत में महाप्रभु जगन्नाथ जी की पहंडी बिजे शुरू हुई।
सुबह 4 बजकर 30 मिनट पर मंगला आरती की गई। रथ प्रतिष्ठा का समय 8 बजे और इसके पश्चात 8 बजकर 30 मिनट पर पहंडी बिजे। 11 बजकर 30 मिनट पर पहंडी बिजे समाप्त होगी। इसके पश्चात शंकराचार्य रथ पर विराजमान चतुर्धा विग्रहों के पावन दर्शन करेंगे। 12 बजकर 45 मिनट से 2 बजे के बीच गजपति महाराज दिव्य सिंहदेव रथ पर छेरापहंरा की रीति नीति करेंगे। अपराह्न 3 बजे से पुरी में रथ खींचने की प्रक्रिया की शुरुआत होगी।