अयोध्या में पांच अगस्त को राम मंदिर निर्माण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथ से भूमिपूजन के कार्यक्रम के लिए श्रीराममंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से क़रीब 175 ख़ास मेहमानों को आमंत्रित किया गया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंच पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के अलावा यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास ही मौजूद हैं.
सोमवार को आमंत्रित लोगों के बारे में जानकारी देते हुए ट्रस्ट के सचिव चंपत राय ने कहा था कि पहला आमंत्रण पत्र भगवान गणेश को और दूसरा आमंत्रण पत्र मंदिर- मस्जिद विवाद में बाबरी मस्जिद के मुख्य पक्षकार रहे इक़बाल अंसारी को भेजा गया.
इसके अलावा संत समाज के तमाम संप्रदायों के प्रतिनिधि संतों को भी कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया. चंपत राय ने बताया कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए मेहमानों की सूची को बहुत संक्षिप्त करना पड़ा.
माना जा रहा था कि इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में राम मंदिर आंदोलन से जुड़े कुछ बड़े नेताओं को ज़रूर बुलाया जाएगा लेकिन लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह सरीखे कई नेताओं को उनकी अधिक उम्र की वजह से नहीं बुलाया गया.
हालांकि बताया जा रहा है कि ये लोग वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के ज़रिए कार्यक्रम में शामिल होंगे.
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राम मंदिर आंदोलन और योगी आदित्यनाथ
जहां तक योगी आदित्यनाथ का सवाल है, वो जिस गोरक्ष पीठ के महंत हैं, उस पीठ का राम मंदिर आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका रही है लेकिन योगी आदित्यनाथ आंदोलन के वक़्त न तो मठ में और न ही राजनीति में सक्रिय थे, इसलिए उनका उस आंदोलन में कोई योगदान नहीं रहा.
कभी योगी आदित्यनाथ के बेहद क़रीबी और उनके द्वारा स्थापित हिन्दू युवा वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष रहे सुनील सिंह अब उनका साथ छोड़कर भले ही समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए हैं लेकिन योगी आदित्यनाथ की शुरुआती राजनीति के वो न सिर्फ़ साक्षी हैं बल्कि सहयोगी भी रहे हैं.