नई दिल्ली, 9 अक्टूबर । तमिलनाडु विधानसभा ने सोमवार को कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण के आदेशों के अनुसार कर्नाटक सरकार को कावेरी जल छोड़ने का निर्देश देने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित कर दिया। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने विधानसभा में कहा कि कावेरी डेल्टा के किसानों की आजीविका की रक्षा के लिए कावेरी का पानी का आवश्यक है। कावेरी डेल्टा का क्षेत्र तमिलनाडु की कृषि का आधार है।
एमके स्टालिन ने इस प्रस्ताव के माध्यम से केन्द्र सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने और “कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण” के निर्देश के अनुसार कर्नाटक सरकार को तमिलनाडु के लिए पानी छोड़ने का निर्देश देने का आग्रह किया है।
क्या है कावेरी जल विवाद का इतिहास
कावेरी नदी के जल के बंटवारे को लेकर तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच गम्भीर विवाद है। इस विवाद की जड़ें भूतपूर्व मद्रास प्रेसिडेन्सी तथा मैसूर राज्य के बीच 1892 एवं 1924 में हुए दो समझौते हैं। कावेरी नदी के पानी का बंटवारा तमिलनाडु और कर्नाटक के दो राज्यों के बीच एक गंभीर संघर्ष का स्रोत रहा है। इस संघर्ष की उत्पत्ति 1892 और 1924 में मद्रास प्रेसीडेंसी और किंगडम ऑफ़ मैसूर के बीच दो समझौतों पर टिकी हुई है। 802 किलोमीटर (498 मील) कावेरी नदी में तमिलनाडु में 44,000 किमी 2 बेसिन क्षेत्र और कर्नाटक में 32,000 किमी. 2 बेसिन क्षेत्र हैं। कर्नाटक का प्रवाह 425 टीएमसी एफटी है जबकि तमिलनाडु का 252 टीएमसी एफटी है।