वाट्सएप ग्रुप (WhatsApp Group) में आपत्तिजनक पोस्ट करने के मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए केरल हाईकोर्ट ने कहा है कि वाट्सप ग्रुप में किसी सदस्य द्वारा कि गयी पोस्ट के लिए एडमिन को जिम्मेदार नही माना जा सकता. कोर्ट ने यह फैसला एक मामले की सुनवाई के बाद सुनाया है.
दरअसल मार्च 2020 में ‘फ्रेंड्स’ (FRIENDS) नाम के एक व्हाट्सएप ग्रुप में एक वीडियो शेयर किया गया था जिसमें यौन कृत्यों में शामिल बच्चों को दिखाया गया था। इस ग्रुप को भी याचिकाकर्ता ने ही बनाया था और वही एडमिन थे। याचिकाकर्ता के अलावा दो अन्य भी एडमिन थे जिनमें से एक आरोपी था.
पहले आरोपी के खिलाफ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 67 बी (ए), (बी) और (डी) और यौन अपराध से बच्चों के संरक्षण अधिनियम की धारा 13, 14 और 15 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। इसके बाद पुलिस ने वीडियो पोस्ट करनेवाले शख्स के साथ पहले व्यक्ति (जिसने ग्रुप बनाया था) के खिलाफ भी POCSO एक्ट के तहत मामला दर्ज किया. जिसके बाद याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
कोर्ट ने कहा कि एक व्हाट्सएप ग्रुप के एडमिन के पास अन्य सदस्यों पर एकमात्र विशेषाधिकार यह है कि वह ग्रुप से किसी भी सदस्य को हटा सकता है या एड कर सकता है. किसी व्हाट्सएप ग्रुप का कोई सदस्य ग्रुप में क्या पोस्ट कर रहा है, इस पर उसका कोई नियंत्रण नहीं है. वह किसी ग्रुप के मैसेज को मॉडरेट या सेंसर नहीं कर सकता है.
जस्टिस कौसर एडप्पागथ ने कहा कि आपराधिक कानून में परोक्ष दायित्व (Vicarious liabilty) केवल तभी तय किया जा सकता है, जब कोई कानून ऐसा निर्धारित करे और फिलहाल आईटी एक्ट में ऐसा कोई कानून नहीं है. उन्होंने कहा कि एक व्हाट्सएप एडमिन आईटी अधिनियम के तहत मध्यस्थ नहीं हो सकता है.