तेलंगाना के वारंगल के पालमपेट में स्थित काकतीय रुद्रेश्वर रामप्पा मंदिर (Ramappa Temple) को यूनेस्को (UNESCO) के विश्व धरोहर स्थल (World Heritage) के तौर पर मान्यता दी है. यह जानकारी संस्कृति मंत्रालय ने रविवार को दी.
केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी (G. Kishan Reddy) ने ट्वीट किया, ‘मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि यूनेस्को ने तेलंगाना के वारंगल के पालमपेट में स्थित रामप्पा मंदिर को विश्व धरोहर स्थल के तौर पर मान्यता दी है.’ उन्होंने कहा, ‘राष्ट्र, खासकर, तेलंगाना के लोगों की ओर से, मैं माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उनके मार्गदर्शन और समर्थन के लिए आभार व्यक्त करता हूं.’
किशन रेड्डी ने अपने बयान में बताया कि, ‘कोविड-19 महामारी के कारण, संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) की विश्व विरासत समिति की बैठक 2020 में आयोजित नहीं की जा सकी थी. और 2020 और 2021 के नामांकनों पर ऑनलाइन बैठक की एक श्रृंखला में चर्चा की जा रही है. उन्होंने कहा कि रामप्पा मंदिर पर रविवार को चर्चा की गई. सरकार ने 2019 के लिए यूनेस्को को इसे विश्व धरोहर स्थल के तौर पर मान्यता देने का प्रस्ताव दिया था.
वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने ट्वीट किया, ‘शानदार! सभी को बधाई, खासकर तेलंगाना की जनता को. प्रसिद्ध रामप्पा मंदिर महान काकतीय राजवंश के उत्कृष्ट शिल्प कौशल को प्रदर्शित करता है. मैं आप सभी से इस शानदार मंदिर के परिसर में जाने और इसकी भव्यता का प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त करने का आग्रह करता हूं.’
इसके अलावा तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (K. Chandrashekar Rao) ने ऐतिहासिक रामप्पा मंदिर को विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता देने के यूनेस्को के फैसले की सराहना की. राव ने यूनेस्को के सदस्य राष्ट्रों, केंद्र सरकार को उसके समर्थन के लिए धन्यवाद दिया.
तेलंगाना के काकतिया वंश के महाराजा गणपति देव ने सन 1213 में मंदिर का निर्माण शुरू कराया था. छह फीट ऊंचे प्लेटफॉर्म पर बने इस मंदिर की दीवारों पर महाभारत और रामायण के दृश्य देखे जा सकते हैं. शिवरात्रि और सावन के महीने में यहां काफी श्रद्धालु पहुंचते हैं.
यह मंदिर रेचारला रुद्र ने बनवाया था जो काकतीय राजा गणपति देव के एक सेनापति थे. यह भगवान शिव को समर्पित मंदिर है और मंदिर के अधिष्ठाता देवता रामलिंगेश्वर स्वामी हैं. इसे रामप्पा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इसका नाम इसके शिल्पकार के नाम पर रखा गया था, जिन्होंने 40 साल तक मंदिर के लिए काम किया था.
रामप्पा मंदिर (Ramappa Temple) काकतियों के मंदिर परिसरों की विशिष्ट शैली, तकनीक और सजावट, मूर्तिकला के प्रभाव की अभिव्यक्ति है और काकतीयों की रचनात्मक प्रतिभा का प्रमाण प्रस्तुत करती है. मंदिर छह 6 ऊंचे तारे जैसे मंच पर खड़ा है, जिसमें दीवारों, स्तंभों और छतों पर जटिल नक्काशी से सजावट की गई है, जो काकतीय मूर्तिकारों के अद्वितीय कौशल को प्रमाणित करती है.