कोलकाता, 12 मई । कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस अभिजीत गांगुली ने शुक्रवार को अवैध तरीके से नियुक्त हुए 36 हजार प्राथमिक शिक्षकों की नौकरी रद्द करने का आदेश दिया है। इसे लेकर भारतीय जनता पार्टी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का इस्तीफा मांगा है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा है कि कोर्ट के इस आदेश के बाद इतनी बड़ी संख्या में लोगों को नौकरी से हटाया जाने का मामला बेहद संगीन है। इसे देखते हुए ममता बनर्जी को नैतिक तौर पर मुख्यमंत्री बने रहने का अधिकार नहीं है। उन्हें तुरंत इस्तीफा देना चाहिए।
मजूमदार ने कहा कि ममता बनर्जी को इसकी नैतिक जिम्मेवारी लेकर इस्तीफा देना ही चाहिए। हाई कोर्ट का फैसला स्पष्ट करता है कि वह मुख्यमंत्री के तौर पर पूरी तरह से विफल रही हैं और उनकी देखरेख में सरकारी नौकरियों को बेचा गया है। बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की जिम्मेवारी ममता को लेनी ही होगी।
हालांकि तृणमूल प्रवक्ता कुणाल घोष ने इस पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि जो लोग योग्य हैं उन्हें निश्चित तौर पर नौकरी दी जाएगी लेकिन यह देखना होगा कि बिना किसी कारण वैध लोग भी शिकार ना बने। कोर्ट का फैसला आया है ठीक है, संबंधित विभाग के वकील मामले को देखेंगे।
माकपा नेता सुजन चक्रवर्ती ने कहा कि पैसे के लिए बंगाल में बड़े पैमाने पर खेल हुआ है। अप्रशिक्षित लोगों को नौकरी दी गई जबकि जो लोग योग्य हैं वे सड़कों पर बैठकर आंदोलन कर रहे हैं। निश्चित तौर पर यह आदेश बहुत बड़ा है और ममता बनर्जी की जिम्मेवारी बनती है।
प्रदेश भाजपा के बड़े नेता और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि जिस तरह से ममता बनर्जी की देखरेख में भ्रष्टाचार युक्त नियुक्तियां हुई हैं, पैसों का लेनदेन किया गया है वह शर्मनाक है। पूरे देश में ऐसा उदाहरण नहीं है। सरकार के सभी विभागों ने कानून के बाहर निकल कर काम किया है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने भी इसे लेकर ममता बनर्जी पर हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि भ्रष्टाचार का पहाड़ सामने आ रहा है। हम लोग शुरू से कहते आ रहे हैं कि भ्रष्टाचार जितना उजागर हुआ है वह बिंदु मात्र है। निश्चित तौर पर ममता बनर्जी इसके लिए जिम्मेदार हैं और उन्हीं के निर्देश पर सब कुछ हुआ है।