यूरोप में कोरोनावायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) का कहर बढ़ता जा रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने चेतावनी दी है कि यूरोप दोबारा कोरोना महामारी का हॉटस्पॉट बन गया है. फिलहाल, कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण की वजह पश्चिमी यूरोप है. जहां संक्रमितों की बढ़ती संख्या के चलते लॉकडाउन जैसे कदम उठाने पड़ रहे हैं.
यूरोपिय यूनियन (European Union) के कुछ देशों में कोविड-19 (Covid-19) के बढ़ते केसों की वजह से लॉकडाउन (Lockdown) की आशंका बढ़ने लगी है. इन देशों में स्थानीय सरकारें क्रिसमस तक फिर से लॉकडाउन लगाने के विकल्प पर विचार कर रही है. साथ ही इस बात पर बहस हो रही है कि क्या सिर्फ अकेले वैक्सीन की मदद से कोरोना वायरस पर काबू पाया जा सकता है. सर्दियों में फ्लू के मौसम से पहले हुए टीकाकरण के बाद चिंता काफी बढ़ गई है.
कोरोनावायरस महामारी के तकरीबन दो साल बाद भी यूरोप के पश्चिमी क्षेत्र में संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं. यह काफी चौंकाने वाली बात है, क्योंकि इस क्षेत्र में टीकाकरण की दरें अधिक हैं और स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियां अच्छी हैं. इसके बावजूद अब कोरोना के लौटने की वजह से लॉकडाउन लगाने की नौबत आन पड़ी है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बताया कि यूरोप में पिछले हफ्ते कोरोना वायरस से जान गंवाने वाले लोगों की संख्या 10 फीसदी तक बढ़ गई। एजेंसी ने पिछले हफ्ते आधिकारिक घोषणा में कहा कि यूरोप फिर से महामारी का केंद्र बनने जा रहा है.
पश्चिमी यूरोप के कुछ देशों जैसे कि जर्मनी और ब्रिटेन में दुनिया में संक्रमण के सबसे अधिक नए मामले आ रहे हैं जबकि वहां कोरोना टीके लगाने की दर ज्यादा है. पश्चिम यूरोप में सभी देशों में टीकाकरण की दर 60 प्रतिशत से अधिक है और पुर्तगाल-स्पेन जैसे देशों में टीकाकरण की दर और अधिक है.
एक्सेटर यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिसिन एंड हेल्थ में वरिष्ठ क्लिनिकल व्याख्याता डॉ. भारत पनखानिया ने कहा कि लॉकडाउन के बाद से व्यापक पैमाने पर सामाजिक गतिविधियां शुरू होने के साथ टीके की खुराक न लेने वाले लोग और महीनों पहले टीके की खुराक ले चुके लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी आना संक्रमण के बढ़ते मामलों के लिए जिम्मेदार है.