पाकिस्तान के पश्चिमोत्तर पेशावर शहर में रविवार की प्रार्थना के बाद घर लौट रहे एक पादरी की अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मारकर हत्या कर दी और एक अन्य को घायल कर दिया। पुलिस ने यह जानकारी दी. पुलिस ने कहा कि वह हमलावरों की तलाश के लिए सीसीटीवी फुटेज की जांच कर रही है.
पुलिस ने बताया कि पेशावर के गुलबहार इलाके में हुए हमले में 75 वर्षीय बिशप विलियम सिराज को कई बार गोली मारी गई और उनकी मौके पर ही मौत हो गई, जबकि फादर नईम पैट्रिक घायल हो गए. कार में सवार तीसरे पादरी को कोई चोट नहीं आई. पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची और तलाश अभियान शुरू किया. अपराधियों को पकड़ने के लिए एंट्री और एग्जिट गेट पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है. फिलहाल अब तक किसी भी संगठन ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है.
पाकिस्तान उलेमा काउंसिल के अध्यक्ष और अंतरधार्मिक सद्भाव एवं पश्चिम एशिया के लिए प्रधानमंत्री के विशेष प्रतिनिधि हाफिज मोहम्मद ताहिर महमूद अशरफी ने पादरी पर हमले की निंदा की. मुख्यमंत्री महमूद खान ने भी हमले की निंदा की है और पुलिस को हमलावरों की जल्द से जल्द गिरफ्तारी के निर्देश दिए हैं. मुख्यमंत्री महमूद खान ने घायल फादर के लिए सबसे बढ़िया इलाज उपलब्ध कराने का भी आदेश दिया.
साल 2017 की जनगणना के अनुसार पाकिस्तान में हिंदू सबसे बड़े धार्मिक अल्पसंख्यक हैं. ईसाई समुदाय दूसरा सबसे बड़ा धार्मिक अल्पसंख्यक है. हाल के सालों में पाकिस्तान में अल्पसंख्यक ईसाई समुदाय के लोगों को निशाना बनाकर किए जा रहे आतंकवादी हमले में ये ताजा मामला है. ताजा हमले में मारे गए विलियम सिराज के लिए एक मेमोरियल सर्विस सोमवार को ऑल सेंट चर्च में आयोजित की जाएगी.
पाकिस्तान में ईसाई और कुछ अन्य गैर मुस्लिम अल्पसंख्यकों को अक्सर धमकियों और उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है. कभी-कभी अन्य मुस्लिम समूह जैसे अहमदी और शिया समुदाय के सदस्य ऐसे हमलों के जरिए निशाना बनाए जाते हैं.
पिछले कुछ दिनों में अफगान सीमा से उत्तर पश्चिमी पाकिस्तान में सुरक्षा बलों पर आतंकवादी हमले बढ़ते जा रहे हैं. इनमें से कई हमलों का दावा तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने किया है. यह समूह अफगान तालिबान से संबद्ध होने का दावा करता है. इसी समूह ने दिसंबर में सरकार के साथ एक महीने से चल रहे संघर्ष विराम समझौते को समाप्त कर दिया था. हाल के हफ्तों में पाकिस्तान में आतंकी हिंसा बढ़ी है. पेशावर में ही 2013 में एक चर्च के बाहर दो बड़े आत्मघाती बम विस्फोटों में दर्जनों लोग मारे गए थे. यह पाकिस्तान में ईसाइयों पर हुए सबसे घातक हमलों में से एक था.