उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Assembly Election) से ठीक पहले कांग्रेस को बहुत बड़ा झटका लगा है. आरपीएन ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता और सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम सकते हैं. उन्होंने अपने ट्विटर प्रोफाइल से कांग्रेस का नाम और उससे जुड़े पदों को भी हटा दिया है. बताया जा रहा है कि आरपीएन भाजपा की तरफ से स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ चुनावी मैदान में होंगे.
आरपीएन सिंह ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपना इस्तीफा भेजने के साथ ट्विटर पर यह भी ऐलान कर दिया है कि वह नए सफर की शुरुआत करने जा रहे हैं. बीजेपी ने भी यह कहकर संकेत दे दिया है कि आज दोपहर 2:30 बजे एक प्रमुख शख्सियत पार्टी में शामिल होने जा रहे हैं.
आरपीएन सिंह ने ट्वीट किया, ”आज, जब पूरा राष्ट्र गणतंत्र दिवस का उत्सव मना रहा है, मैं अपने राजनैतिक जीवन में नया अध्याय आरंभ कर रहा हूं. जयहिंद.” सोनिया गांधी को भेजे इस्तीफे में आरपीएन सिंह ने लिखा है कि वह कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहे हैं. उन्होंने राष्ट्र और लोगों की सेवा करने का मौका देने के लिए सोनिया गांधी को धन्यवाद भी दिया है.
सूत्रों की मानें तो मनमोहन सरकार में मंत्री रहे आरपीएन सिंह आज यानी मंगलवार को भाजपा की सदस्यता लें सकते हैं. आरपीएन सिंह के भाजपा ज्वाइन करने से न केवल कांग्रेस की बल्कि सपा की भी मुश्किल बढ़ेगी, क्योंकि पूर्वांचल में इनकी गहरी पैठ मानी जाती है, साथ ही दिलचस्प बात ये है कि आरपीएन सिंह ने कांग्रेस से ऐसे वक्त में इस्तीफा दिया है, जब पार्टी ने यूपी चुनाव के लिए स्टार प्रचारकों की लिस्ट में उन्हें शामिल किया था.
खबर यह भी है कि भाजपा में शामिल होकर आरपीएन सिंह अपने गृह जनपद कुशीनगर की पडरौना सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. ऐसे में स्वामी प्रसाद मौर्य की मुश्किल बढ़ सकती है, क्योंकि स्वामी भी इसी सीट से चुनाव लड़ने की योजना बना रहे हैं. भाजपा स्वामी के खिलाफ आरपीएन सिंह पर दांव लगा सकती है.
पडरौना राजघराने से ताल्लुक रखने वाले आरपीएन सिंह का पूरा नाम कुंवर रतनजीत प्रताप नारायण सिंह है. पडरौना यूपी और बिहार की सीमा पर स्थित एक कस्बा है, जिसे अब देवरिया जिले से अलग कर कुशीनगर जिला बना दिया गया है. आरपीएन इसी कुशीनगर के पडरौना विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर वर्ष 1996, 2002 और वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में 3 बार विधायक रह चुके हैं. इसके बाद वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में जीतकर वह सांसद बने और मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में गृह राज्यमंत्री की जिम्मेदारी मिली. हालांकि इसके बाद के चुनावों में उन्हें लगातार हार ही नसीब होती रही.