मुम्बई। भारत की जनता फ़िल्म अभिनेताओं को अपना आदर्श मानती है और इन्हें हीरो कह सम्मानित करती है। फिल्मी पर्दे के कलाकारों को भगवान मानने वाले लोग इनका अनुसरण करते हैं और उन्हीं की तरह जीवन शैली देखने का सपना सजाते हैं। कई नवयुवक – नवयुवती नाम और दाम कमाने की चाह में मायानगरी मुंबई आकर संघर्ष भी करते हैं। जिसमें कुछ सफल तो कुछ गुमनामी के अंधेरों में खो जाते हैं। दरअसल अभिनेता व अभिनेत्री जो आलीशान जीवन जीते हैं वह आम जनता की ही देन है किंतु अरबों की कमाई करने वाले ये कलाकार जनता के लिए मनोरंजन के सिवा कुछ नहीं करते हैं। किसी भी अप्रिय घटना में जनता इनसे मदद की आस लगाए रहती है लेकिन मिलता क्या है ? स्वयं के सुख भोग से बाहर ये कलाकार आम जनता के उत्थान हेतु संतोष जनक कार्य नहीं करते हैं।
बॉर्डर पर खड़ा सिपाही एक छोटे से वेतन पर अपनी जान की बाजी बिछाकर देश और जनता की रक्षा करता है। वह सैनिक जिस सम्मान का हकदार है, उसे वह मान नहीं मिलता और जिन फिल्मी कलाकारों को जनता फर्श से अर्श तक पहुंचाती है वे अपने जनता अपने निर्माता के प्रति संवेदनहीन रहता है। कुछ गिने चुने एनजीओ चलाकर कर उन्हें लगता है कि वे अपने कर्तव्य का निर्वहन कर लिए या कुछ पैसे दान कर अपने कर्तव्य से मुक्त हो गए यह समझते है। अपने धन का उपयोग या दुरुपयोग यह व्यक्तिगत फैसला है लेकिन मानवता भी तो आवश्यक है। राष्ट्रीय आपदा या जनता के साथ हुई अप्रिय घटना पर ये दिग्गज कलाकार मौन ही रहते हैं। आज कुछ न्यूज़ चैनलों ने इनकी निजी हकीकत दिखाने की कोशिश की ताकि जनता इनकी सच्चाई से वाकिफ हो सके तो आज गूंगों की भी आवाज उठने लगी। पूरी बॉलीवुड इंडस्ट्री इन न्यूज़ चैनल के खिलाफ उठ खड़ी हुई। यदि यही एकता देशहित में करते तो भारत का गौरव बढ़ जाता। इस समय नेपोटिज्म, रंगभेद, अश्लीलता, कास्टिंग काउच और नशा जैसी बुराइयों से भरी यह इंडस्ट्री खुद पर उंगली उठाने पर स्वयं को पाक साफ बता रही है। न्यूज चैनलों द्वारा दिखायी गयी इनकी गंदगी को यह अपनी अवमानना समझ रही है।
जबकि इन्हें स्वयं इस गंदगी को दूर कर बॉलीवुड को आदर्श स्थापित करना चाहिए था और जो कसूरवार हैं उनको बहिष्कृत करना चाहिए। एक समय था जब भगतसिंह, सुखदेव, आजाद, बोस और गाँधी जैसे हजारों देशभक्त अपने स्वार्थ का त्याग कर देश के लिए प्राण अर्पित कर दिए। लेकिन अब यह समय है कि अपने स्वार्थ के लिए देश के दुश्मनों से मिलना उन्हें अपना निजी फैसला लगता है। जबकि देश सर्वोपरि है धन या स्वयं का स्वार्थ नहीं। कुछ वर्ष पूर्व पाकिस्तान के कलाकारों को बॉलीवुड से बहिष्कृत करने की मांग की गई थी तब चंद फिल्मी दुनिया के लोग विरोध करने लगे थे। आखिर दुश्मन देश से इतना प्रेम क्यों? भारत में इन्हें जब असुरक्षा महसूस होती है तो जनता को क्यों गुमराह करते हैं ? देश छोड़ चले जायें या सरकार की आर्थिक और सामाजिक सहायता कर इस समस्या का निपटारा करें। आज सलमान खान, शाहरुख खान, आमिर खान, अजय देवगन, अक्षय कुमार आदि दिग्गज कलाकार सहित बॉलीवुड के कई बड़े प्रोडक्शन हाउस आर भारत और टाइम्स नाउ चैनल के खिलाफ कार्यवाही की मांग कर रहे हैं। क्या ये सब अर्नब गोस्वामी जैसे तेजतर्रार पत्रकार की आवाज़ को दबा पाएंगे ?
– गायत्री साहू