पीड़ित चिकित्सा कर्मियों पर शोध से हुआ खुलासा
मुंबई, कोरोना बीमारी को हराकर विजेता बनने वालों के लिए सावधान करने वाली बात सामने आई है। मुंबई में जारी कोरोना कहर के बीच दोबारा संक्रमण पर चल रही रिसर्च में कुछ चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. इससे पता चलता है कि हमें और सावधानी बरतने की ज़रूरत है. मुंबई में चार चिकित्सा कर्मियों के कोरोना संक्रमित होकर ठीक होने के बाद फिर से संक्रमित होने पर किए गए शोध में चारों हेल्थ वर्करों में ये बात देखने को मिली कि दूसरी बार उनका संक्रमण पहले के मुकाबले ज्यादा गंभीर था. यह महत्वपूर्ण शोध मनपा द्वारा संचालित कस्तूरबा अस्पताल, हिंदुजा हॉस्पिटल, सीएसआईआर-इंस्टिट्यूट ऑफ जिनोमिक्स एंड इंट्रिग्रेटिव बायॉलोजी और इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नालॉजी दिल्ली ने मिलकर किया है.
इनकी संयुक्त स्टडी रिपोर्ट कई चौंकाने वाले तथ्य पेश करती है. रिपोर्ट के अनुसार मुंबई के नायर अस्पताल के तीन रेसीडेंट डॉक्टर और हिंदुजा के एक स्वस्थ्यकर्मी को मई-जून के महीने में पहली बार संक्रमण हुआ. कुछ ही दिनों के बाद वे जुलाई महीने में फिर से संक्रमित हुए. चारों की जीनोम सीक्वेंसिंग में ये साबित हुआ कि पहले हुए संक्रमण की तुलना में दूसरी बार का संक्रमण ज़्यादा गम्भीर था. हालांकि मरीज़ कुछ ही दिनों बाद निगेटिव होकर ठीक हुए. संभावना जताई गई कि इसका एक कारण शायद इनकी उम्र भी हो क्योंकि चारों 24 से 31 वर्ष के बीच के हैं, जिन्हें पहले से कोई शारीरिक तकलीफ़ नहीं थी. शायद इसीलिए दोबारा संक्रमण को भी वे आसानी से झेल गए. रिपोर्ट में ये भी लिखा है कि पहला लक्षण अगर हल्का हो तो एंटीबॉडी भी कमज़ोर बनती है जिससे दोबारा संक्रमण का ख़तरा रहता है. यह रिसर्च स्वास्थ्य कर्मियों के लिए चिंता व्यक्त करते हुए बताती है कि हेल्थ वर्कर कोरोना संक्रमित मरीजों के संपर्क में रहते हैं और उन्हें दूसरी बार संक्रमण होने का खतरा ज़्यादा है।