प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज से दो दिनों के उत्तराखंड दौरे पर हैं। अपनी इस यात्रा के दौरान वह शुक्रवार सुबह 8:20 बजे के करीब केदारनाथ धाम पहुंचे। यहां उन्होंने बाबा केदार के दर्शन किए, फिर रुद्राभिषेक अनुष्ठान में शामिल हुए। इसके बाद पीएम ने आदिगुरु शंकराचार्य की समाधि स्थल पर दर्शन किए. इस दौरान उनके साथ उत्तराखंड के राज्यपाल गुरमीत सिंह और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी मौजूद रहे।
प्रधानमंत्री ने केदारनाथ धाम में 9.7 किलोमीटर लंबी रोपवे परियोजना की आधारशिला रखी। यह रोपवे गौरकुंड से शुरू होकर केदारनाथ धाम तक आएगा और आगामी 5 से 6 वर्षों में बनकर तैयार होगा। पीएम ने तीर्थयात्रियों की सुविधा और भीड़ को नियंत्रित करने के लिए केदारनाथ में बनाए गए नए मंदाकिनी आस्था पथ और सरस्वती आस्था पथ का भी निरीक्षण किया और केदारनाथ पुनर्विकास परियोजना में काम करने वाले श्रमजीवी से बातचीत की।
इसके बाद वह हेलीकॉप्टर से बद्रीनाथ धाम के लिए रवाना हो गए। करीब 11:10 बजे उनका हेलीकॉप्टर बद्रीनाथ में लैंड हुआ. पीएम मोदी ने बद्रीनाथ धाम में भगवान बद्री विशाल के दर्शन-पूजन करने के बाद माणा गांव पहुंचे, जो भारत-चीन सीमा पर अंतिम सीमावर्ती गांव है। यहां उन्होंने ‘सीमावर्ती गांव विकास कार्यक्रम’ योजना की समीक्षा की और 2 सड़क, 2 रोपवे परियोजनाओं का शिलान्यास किया।
जिसके बाद लोगों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज बाबा केदार और बद्री विशाल जी के दर्शन करके मन प्रसन्न हो गया, जीवन धन्य हो गया।
पीएम ने जनसभा को किया संबोधित
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “माणा गांव भारत के अंतिम गांव के रूप में जाना जाता है लेकिन मेरे लिए सीमा पर बसा हर गांव देश का पहला गांव है। सीमा पर बसे आप जैसे सभी साथी देश के सशक्त प्रहरी है।” पीएम मोदी ने कहा कि 21वीं सदी के विकसित भारत के निर्माण के दो प्रमुख स्तंभ हैं। पहला- अपनी विरासत पर गर्व और दूसरा- विकास के लिए हर संभव प्रयास।
माणा गांव में पीएम मोदी ने कहा, “पहले जिन इलाकों को देश की सीमाओं का अंत मानकर नजरअंदाज किया जाता था, हमने वहां से समृद्धि का आरंभ मानकर काम शुरू किया। पहले देश का आखिरी गांव जानकर जिसकी उपेक्षा की जाती थी, हमने वहां के लोगों की अपेक्षाओं पर फोकस किया।”
उन्होंने कहा कि अयोध्या में इतना भव्य राममंदिर बन रहा है, गुजरात के पावागढ़ में मां कालिका के मंदिर से लेकर विन्ध्याचल देवी के कॉरिडोर तक, भारत अपने सांस्कृतिक उत्थान का आह्वान कर रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा, “देश की आजादी के 75 साल पूरे होने पर मैंने लाल किले पर एक आह्वान किया, ये आह्वान हैं गुलामी की मानसिकता से पूरी तरह मुक्ति का। क्योंकि आजादी के इतने वर्षों बाद भी, हमारे देश को गुलामी की मानसिकता ने ऐसा जकड़ा हुआ है कि प्रगति का कुछ कार्य कुछ लोगों को अपराध की तरह लगता है। विदेशों में वहां की संस्कृति से जुड़े स्थानों की ये लोग तारीफ करते नहीं थकते थे लेकिन भारत में इस प्रकार के काम को हेय दृष्टि से देखा जाता था।”
प्रधानमंत्री बोले कि आधुनिक कनेक्टिविटी राष्ट्ररक्षा की भी गारंटी होती है इसलिए बीते 8 सालों से हम इस दिशा में एक के बाद एक कदम उठा रहे हैं। भारतमाला के तहत देश के सीमावर्ती क्षेत्रों को बेहतरीन और चौड़े हाइवे से जोड़ा जा रहा है। सागरमाला से अपने सागर तटों की कनेक्टिविटी को सशक्त किया जा रहा है।
उन्होंने कहा, “एक संवेदनशील सरकार, गरीबों का दुख-दर्द समझने वाली सरकार कैसे काम करती है, आज देश के हर कोने में लोग अनुभव कर रहे हैं। कोराना काल में जब वैक्सीन लगवाने की बारी आई,अगर पहले की सरकारें होती, तो शायद अभी तक वैक्सीन यहां तक नहीं आता।”