बीते कुछ दिनों से महाराष्ट्र (Maharashtra) के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Governor Bhagat Singh Koshyari) विपक्ष के निशाने पर हैं। आरोप था कि भगत सिंह कोश्यारी ने छत्रपति शिवाजी महाराज का अपमान किया है। इस मुद्दे को आधार बनाकर राज्य की महाविकास अघाड़ी ने शिंदे-फडणवीस सरकार और भगत सिंह कोश्यारी के खिलाफ महामोर्चा निकालने का भी ऐलान किया है। फिलहाल इस मामले को लेकर गवर्नर ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है।
इस पत्र में उन्होंने कहा कि वे शिवाजी महाराज का अपमान करने के बारे में सोच तक नहीं सकते। उन्होंने गृहमंत्री से सलाह मांगी है कि उन्हें इस पद पर बने रहना है या नहीं। कोश्यारी ने यह चिट्ठी 6 दिसंबर को लिखी थी, जो अब सामने आई है।
राज्यपाल ने पत्र में क्या लिखा
महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने अपने पत्र में लिखा है कि मेरे भाषण के एक छोटे से अंश को निकालकर कुछ लोगों ने संपूर्ण संदर्भ से अलग इसे राज्यपाल की आलोचना का विषय बना दिया है। युवा पीढ़ी के सामने अपने आदर्श व्यक्तियों के उदाहरण हो, तो वे उनसे प्रेरणा लेते हैं। मैंने छात्रों को बताया कि जब हम पढ़ते थे तो कुछ विद्यार्थी महात्मा गांधी जी, तो कुछ पंडित नेहरू जी, तो कुछ नेताजी सुभाष चंद्र बोस आदि को अपना आदर्श मानकर उत्तर देते थे।
स्वाभाविक है कि युवा पीढ़ी, वर्तमान पीढ़ी के कर्तव्यशील व्यक्तियों का भी उदाहरण चाहता है। महाराष्ट्र के संदर्भ में बात करते हुए मैंने कहा कि आज के संदर्भ में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर से लेकर नितिन गडकरी तक अच्छे उदाहरण हो सकते हैं। इसका अर्थ तो यही था कि छात्र डॉ एपीजे अब्दुल कलाम, होमी भाभा आदि अनेक कर्तव्यशील व्यक्तियों को आदर्श के रूप में ले सकते हैं।
आज यदि कोई युवा इन व्यक्तियों का या विशेषकर आज विश्व में भारत का नाम ऊंचा कर रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को आदर्श मानता है तो उसका अर्थ पूर्व के महापुरुषों का अपमान करना तो नहीं होता। यह कोई तुलना का विषय भी नहीं था। जहां तक छत्रपति शिवाजी महाराज का प्रश्न है वह न केवल महाराष्ट्र के अपितु पूरे देश के गौरव हैं।
मैंने इस उम्र में भी वह भी जब कोविड-19 काल में बड़े-बड़े लोग अपने घर से बाहर नहीं निकलते थे। तब शिवनेरी, सिंहगढ़, रायगढ़ और प्रतापगढ़ जैसे पवित्र स्थलों का पैदल चलकर दर्शन लाभ लिया है। मैं शिवाजी महाराज जैसे वंदनीय पुत्र को जन्म देने वाली माता जिजाऊ के जन्मस्थान सिंदखेड राजा का दर्शन करने वाला संभवत पिछले 30 वर्ष से अधिक समय में पहला राज्यपाल हूं। वह भी हवाई मार्ग से नहीं बल्कि मोटर मार्ग से चलकर। वस्तुतः मेरे कथन का तो यही अर्थ था कि शिवाजी महाराज हमेशा के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।
आप जानते हैं 2016 में जब आप हल्द्वानी में थे, तो मैंने सार्वजनिक तौर पर ऐलान किया था कि मैं 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लडूंगा और राजनैतिक पदों से दूर रहूंगा। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी और आपने मुझे पर जो प्यार और भरोसा दिखाया, उसके चलते मैंने महाराष्ट्र के गवर्नर का पद स्वीकार किया।
आप जानते हैं कि अगर मैंने जानबूझकर कोई गलती की है तो मैं तुरंत माफी मांगने या उस पर पछतावा जाहिर करने से कभी नहीं हिचकूंगा। महाराणा प्रताप, गुरु गोबिंद सिंह और छत्रपति शिवाजी जैसे बड़े आइकन्स की बेइज्जती करने के बारे में मैं सोच भी नहीं सकता हूं। इसलिए मैं आपसे निवेदन करता हूं कि इस स्थिति में मेरा मार्गदर्शन करें।
कोश्यारी का विवादित बयान
महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने 19 नवंबर को औरंगाबाद में एक यूनिवर्सिटी के कार्यक्रम में शिवाजी को पुराने दिनों का आइकॉन कहा था। कोश्यारी के साथ इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता नितिन गडकरी और NCP प्रमुख शरद पवार भी मौजूद थे।
उन्होंने भरी सभा में बाबासाहेब आंबेडकर और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को नए जामने का आइकन बताया था। इस बयान के बाद विपक्ष के नेता उन पर हमलावर हो गए और उनका इस्तीफा मांगने लगे। भाजपा के समर्थन से महाराष्ट्र में सरकार बना चुके शिंदे गुट ने भी कोश्यारी के बयान का विरोध किया था।