- पांच दिन का सत्र मात्र दो दिनों में खत्म, हंगामे के बीच 26 हजार 816 करोड़ से अधिक का अनुपूरक अनुपूरक बजट पारित
- मप्र में हुक्का बार और तंबाकू उत्पादों के विज्ञापन पर बैन, हंगामे के बाद विधानसभा में पास हुआ संशोधित विधेयक
भोपाल, 12 जुलाई । मध्य प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र में बुधवार को दूसरे दिन भी जमकर हंगामा हुआ। आदिवासी उत्पीड़न, महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के विधायकों ने सदन की कार्यवाही शुरू होते ही हंगामा करना शुरू कर दिया। काफी देर तक चले हंगामे को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने दोपहर बाद सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी। इसके साथ ही पांच दिन का मानसून सत्र मात्र दो दिनों में ही खत्म हो गया। सदन में राज्य सरकार द्वारा हंगामे के बीच ही 26 हजार 816 करोड़ से अधिक का अनुपूरक बजट पेश किया गया, जिसे ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। साथ ही हुक्का बार और तंबाकू उत्पादों के विज्ञापन पर बैन से संबंधित संशोधित विधायक भी पास हो गया।
मप्र विधानसभा में मानसून सत्र के दूसरे दिन बुधवार को सुबह 11.00 बजे सदन की कार्यवाही प्रश्नकाल से शुरू हुई। विपक्ष के विधायकों ने सदन की कार्यवाही शुरू होते ही आदिवासी उत्पीड़न, महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर हंगामा शुरू कर दिया। प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस विधायक हीरालाल अलावा ने बांधों के निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण और वनवासियों के अधिग्रहण का मुद्दा उठाया। कांग्रेस विधायक नारायण सिंह पट्टा ने कान्हा नेशनल पार्क के कर्मचारियों को विशेष भत्ता देने की मांग की, वहीं भाजपा विधायक संजीव सिंह कुशवाह ने सरकार पर अवैध तरीके से रेत जमा करने वालों पर कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया।
प्रश्नकाल के बाद कांग्रेस विधायक आसंदी के सामने पहुंच गए और जमकर हंगामा करने लगे। विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने समझाने का प्रयास किया, लेकिन हंगामा जारी रहा। इसके चलते सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई। दोबारा कार्यवाही शुरू होने के बाद भी सदन में हंगामा जारी रहा। इसी बीच वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने 26 हजार 816 करोड़ 63 लाख 87 हजार रुपये का अनुपूरक बजट पेश किया। भारी हंगामे के बीच ही हुक्का बार और तंबाकू से बने उत्पाद के विज्ञापन पर बैन के लिए संशोधित विधेयक पास हुआ। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने मानसून सत्र की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने की घोषणा कर दी।
गौरतलब है कि 11 जुलाई से शुरू हुआ मानसून सत्र 15 जुलाई तक चलना था, लेकिन इसे दो दिन ही खत्म कर दिया गया। दो दिनों में भी सत्र चार घंटे भी ठीक से नहीं चला। यह प्रदेश की 15वीं विधानसभा का अंतिम सत्र था।
इससे पहले कांग्रेसी विधायक ने विरोध प्रदर्शन का अनूठा तरीका अपनाया। विधानसभा की कार्यवाही में भाग लेने पहुंचे कांग्रेस के आदिवासी विधायक फुंदेलाल मार्को सिर पर टोपी और कंबल का कोट पहनकर पहुंचे। उन्होंने सत्ताधारी दल भाजपा पर तंज कसते हुए कहा कि भाजपा विधायक सत्ता के नशे में हैं। कभी भी हमारे ऊपर पेशाब कर सकते हैं। इसीलिए हमने यह तरीका अपनाया है।
सदन की कार्यवाही स्थगित होने पर संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस ने सत्र हंगामे की भेंट चढ़ा दिया। हम चर्चा चाहते थे और ये भागना चाहते थे। उन्होंने शायराना अंदाज में कहा कि “बदहवास हुए इस तरह से कांग्रेस के लोग/ जो पेड़ खोखले थे उसी से लिपट गए।” वहीं, कांग्रेस विधायक विजयलक्ष्मी साधौ ने कहा कि सत्ता पक्ष अहंकार में है। विधानसभा सत्र चलाना चाहिए। जनता ने हमें चुनकर भेजा है, हम तो अपनी आवाज उठाएंगे। ये सौदे की सरकार है, इसीलिए इसे किसी से कुछ लेना-देना नहीं है।
राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ने पूरी तरह से चाहा कि सत्र चले। जो मुद्दे उठाए गए, उनका कोई अर्थ नहीं है, क्यों उन पर कार्रवाई हो चुकी है। विपक्ष का हमेशा रहता है कि उधम करो। वहीं, कांग्रेस विधायक राकेश मावई ने कहा कि हमारे तीन पॉइंट्स थे- महाकाल लोक, आदिवासी अत्याचार, सतपुड़ा भवन की आग। इन पर चर्चा चाह रहे थे। स्थगन प्रस्ताव लाए। सरकार चर्चा से भाग गई और सदन स्थगित कर दिया।
कांग्रेस विधायक महेश परमार ने कहा, महाकाल लोक निर्माण के समय ही भ्रष्टाचार की शिकायत की थी। हम इस पर चर्चा करना चाहते थे, लेकिन सदन स्थगित कर दी।