महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले में एक अदालत ने मंगलवार को हत्या के प्रयास के एक मामले में भाजपा विधायक नितेश राणे को जमानत देने से इनकार कर दिया। जिला एवं अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश आरबी रोटे ने राणे की जमानत याचिका खारिज कर दी।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने पिछले गुरुवार को सिंधूदुर्ग जिले में दर्ज इस मामले में नितेश राणे की गिरफ्तारी पर 10 दिनों तक के लिए रोक लगा दी थी। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने विधायक नितेश राणे की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी और 10 दिनों के अंदर उन्हें ट्रायल कोर्ट में सरेंडर करने के लिए कहा था। अदालत ने कहा था कि सरेंडर करने के बाद वो रेगुलर बेल के लिए जा सकते हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के बेटे नीतेश राणे ने सुप्रीम कोर्ट में गिरफ्तारी पूर्व जमानत याचिका दाखिल की थी।
इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी बीती 17 जनवरी को नितेश राणे की गिरफ्तारी से पूर्व जमानत के लिए याचिका को खारिज कर दिया था। अदालत ने कहा था कि इस मामले में अच्छी तरह से जांच की जरूरत है।
शिवसेना कार्यकर्ता पर हुए हमले से जुड़ा है मामला
यह मामला शिवसेना कार्यकर्ता संतोष परब पर हुए कथित हमले से संबंधित है। परब पर यह हमला दिसंबर 2021 में सिंधुदुर्ग जिला सहकारी बैंक के चुनाव के लिए प्रचार करने के दौरान हुआ था। इस हमले का आरोप नितेश राणे पर लगाया गया था।
बीते दिनों शिवसेना के एक सांसद ने आरोप लगाया था कि नितेश राणे ने 23 दिसंबर 2021 को मुंबई में विधान भवन के बाहर महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे की ओर देखते हुए ‘म्याऊं म्याऊं’ की आवाज निकाली थी।
इससे पहले सिंधुदुर्ग में कंकावली पुलिस नितेश राणे की जमानत याचिका का विरोध कर चुकी है। पुलिस के अनुसार यह कहना कि उन्हें राजनीतिक कारणों से या विधान भवन के बाहर उनके धरने के लिए निशाना बनाया जा रहा है, बिल्कुल निराधार है।
इस मामले में भाजपा के विधायक नितेश राणे अपने ऊपर लगे सभी आरोपों से पहले कई बार इनकार कर चुके हैं। उन्होंने आरोप लगा था कि शिवसेना उन्हें टारगेट कर रही है। उनका कहना है कि राज्य विधानसभा परिसर के बाहर हुए एक घटना के बाद से शिवसेना खुद को अपमानित महसूस कर रही है, इसलिए उन्हें निशाना बनाया जा रहा है।