गुजरात के चर्चित मोरबी पुल हादसा मामले में आरोपी ओरेवा ग्रुप के प्रबंध निदेशक (MD) जयसुख पटेल ने मंगलवार को मोरबी के सीजेएम कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया। इसके बाद कोर्ट ने पटेल को न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
बता दें कि 2022 के मोरबी सस्पेंशन ब्रिज ढहने के मामले में 1,262 पन्नों की चार्जशीट दायर की गई है। इस घटना में 135 लोगों की जान गयी थीं। चार्जशीट में आरोपी के तौर पर ओरेवा ग्रुप के जयसुख पटेल का नाम शामिल किया गया है।
पिछले साल 30 अक्तूबर को गुजरात के मोरबी जिले में मच्छु नदी पर बना पुल गिरने से 135 लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद गुजरात पुलिस ने नौ लोगों को गिरफ्तार किया था। जिसमें अजंता मैन्युफैक्चरिंग (ओरेवा ग्रुप) के चार कर्मचारी शामिल थे। इनमें कंपनी के दो मैनेजर हैं और दो टिकट क्लर्क हैं।
जयसुख पटेल का नाम एफआईआर में भी बतौर आरोपी दर्ज है। जयसुख पटेल ने बीती 20 जनवरी को मोरबी की सेशन कोर्ट में याचिका दायर कर अग्रिम जमानत की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था।
गुजरात के मच्छु नदी पर सस्पेंशन ब्रिज (Morbi suspension bridge) का निर्माण ब्रिटिश काल में हुआ था। जिसके नवीनीकरण, मरम्मत और संचालन का ठेका अजंता मैन्युफैक्चरिंग लिमिटेड (ओरेवा ग्रुप) को मिला था। पिछले साल 30 अक्टूबर को ये पुल टूट गया था। जिस वक्त हादसा हुआ पुल पर बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।
ओरेवा ग्रुप के खिलाफ चार्जशीट
चार्जशीट के मुताबिक, ओरेवा कंपनी से अगले 15 साल यानी 2037 तक के लिए पुल की मरम्मत, रखरखाव और ऑपरेशन का समझौता किया गया था। करार की शर्तों के अनुसार 8 से 12 महीने में पुल की मजबूती के अनुसार रिनोवेट करके जनता के लिए खोला जाना था, लेकिन 6 महीने के अंदर बिना किसी तकनीकी मदद के पुल के रिनोवेशन का ठेका दे दिया गया।
चार्जशीट में कहा गया है, ओरेवा कंपनी ने अपने निजी लाभ के लिए पुल को पहले खोल दिया था, जिसकी वजह से यह हादसा हुआ. साथ ही हादसे के बाद यह भी सामने आया कि उन्होंने बचाव कार्यों में भी सहयोग नहीं किया। हादसे के वक्त 400 से ज्यादा लोग पुल पर थे। इतनी बड़ी संख्या में लोगों के जाने से पहले पुल की स्ट्रेन्थ स्टेबिलिटी का जायजा भी नहीं लिया गया था।
बरती गई लापरवाही
यह पुल ब्रिटिश काल में बना था और नगर पालिका के समझौते के तहत ओरेवा ग्रुप इस पुल का संचालन और रखरखाव कर रहा था। जानकारी के मुताबिक टेक्निकल लोगों की जगह फेब्रिकेशन वाले लोगों को काम दिया गया था। एफएसएल की रिपोर्ट के अनुसार 49 में से 22 तारों में जंग लग गई थी। लेकिन इस पर भी ध्यान नहीं दिया गया।